
आज मैं बहुत खुश थी। अखबार में आज कोई बलात्कार का लेख नहीं छपा था । मन को संतुष्टि मिली।
नहीं —–तो आए दिन तीन साल की बच्ची से लेकर चालीस – पचास साल की औरत के साथ बलात्कार एक आम बात हो गई थी।
चलो—– कोरोना वाइरस ने ऐसे राक्षसों को बाहर न निकालने पर तो रोक लगा ही दी आखिर –
अगले दिन सुबह चाय की चुस्की लेते हुए अखबार हाथ में लेकर बैठी ही थी कि—-
ये क्या —-
छः साल की बच्ची के साथ बलात्कार कर उसे मार दिया गया । और उसकी लाश को कचरे मे फेंक दिया |
जहाँ कुत्ते नोंच-नोंच कर खा रहे थे।
कैसी विभत्सना है–
कलेजा मुँह को आ रहा था ये सब पढ़कर | ऐसी महामारी में भी दरिंदे ने उस बच्ची को नहीं छोड़ा ।
देश में सबसे कोरोना वाइरस तो हमारे घर , मोहोल्ले , समाज में फैले है जो सिर से लेकर पैर तक वाइरस इनके अंदर छिपा हुआ है।