विभूति

विभूति

घर पर कंप्यूटर के सामने बैठा विभूति ऑनलाइन फॉर्म भर रहा था तभी जोर से बोला…

“मम्मी देखो फिर वही प्रॉब्लम आजकल सब ऑनलाइन हो गया है,

फॉर्म भरने में नाम के आगे केवल 16 ब्लॉक बने होते हैं,

क्यों मेरा इतना लंबा नाम “विभूतिनाथ विश्वकर्मा” रख दिया।

चार अल्फाबेट तो बॉक्स के बाहर ही निकल जाते हैं।”

“स्कूल में मॉनीटर कहता है,

लिस्ट में तेरा नाम लिखने के लिए कॉपी की एक पूरी लाइन कम पड़ती है,

मेरे मित्र कहते हैं तेरे नाम के स्पेलिंग में 26 में से कौन सा अल्फाबेट नहीं है यह बता।”

“पापा ने क्यों मेरा नाम विभूतिनाथ रखा, मुझे यह नाम बिल्कुल भी पसंद नहीं है।

मैं अगले वर्ष दसवीं कक्षा का परीक्षा का फॉर्म भरूंगा तब अपना नाम बदल दूंगा।”

“बेटा पापा ने कुछ सोच कर ही तेरा नाम विभूतिनाथ रखा है,

पापा जब हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर वापस आएंगे तब हम उन्हें विभूतिनाथ का मतलब पूछेंगे”

मां ने विभूति को समझाते हुए कहा।

अफसोस विभूति पापा से अपने नाम का मतलब पूछ ही नहीं पाया।

पापा अस्पताल से घर वापस नहीं आ पाए ।

महामारी के चलते पीपीई किट पहने पापा के अंतिम दर्शन भी किसी को नसीब नहीं हुए।

पापा के तेरहवी के बाद ग्रह शांति हवन के पश्चात हवन कुंड से निकली रक्षा हाथ में लेते हुए पंडित जी ने विभूती से कहा,

“आपके पिता ने आपको बहुत सुंदर नाम दिया है “विभूतिनाथ”,

यह हवन की पवित्र विभूति अपने माथे पर लगाइये।”

अपने नाम का उल्लेख सुन विभूति ने पंडित जी से पूछा,

“मेरे पापा ने मेरा नाम विभूतिनाथ क्यों रखा होगा??”

पंडित जी ने विभूति को समझाते हुए कहा,

“हवन में गाय के गोबर के काष्ट, लकड़ी, चावल के भुसे और अन्य पवित्र पदार्थों के जलने पर जो राख निकलती है उसे ‘विभूति’ कहते हैं, यह बहुत पवित्र होती है।”

“विभूति का दूसरा अर्थ है विपुलता, वृद्धि, गौरव और किसी रचना का पूर्ण स्वरूप।

वैसे ही नाथ का अर्थ होता है स्वामी, अधिपति या मालिक।”

विभूति भगवान शिव को बहुत प्रिय है पंडित जी ने कहा,

“भगवान शिव अपने संपूर्ण शरीर पर स्मशान की राख लगाते हैं, लेकिन माथे पर विभूति की तीन धारियां लगाते हैं |

यह तीनो धारियां ब्रह्मा विष्णु व महेश का प्रतिनिधित्व करते है”

“विभूती का इतना सुंदर अर्थ होने के कारण ही आपके पिताजी ने आपका नाम विभूति नाथ रखा।”

पंडित जी ने बताया।

अपने नाम का अर्थ और पिता की मंशा को समझकर विभूति भावुक हो गया |

अपने पापा की उसके प्रति प्रेम को समझ उसके आंखों से अश्रु धारा बह निकली।

Photo by Sara Kurfeß on Unsplash

और कहानियाँ पढ़ें : कथांजलि

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About रविंद्र पुरंदरे 7 Articles
नाम - रविंद्र पुरंदरे शहर - इन्दौर शिक्षण - B.Sc. व्यवसाय - स्व-व्यवसाई स्वतंत्र लेखन का शौक। अनेक लेख, आलेख, कहानियां नए फिल्मों की समीक्षाएं समाचार पत्रों में प्रकाशित। संगीत आयोजनों से जुड़ाव, शहर के संगीत संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी।
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Mukesh barve
Mukesh barve
2 years ago

शानदार