
उम्र और किस्मत :
कितनी बार कहा मैंने की मेरे साथ चलो लेकिन तुम फिर भी पीछे रह गई ! मुझे देखो मैं तुमसे कितनी आगे निकल आई हूँ!”
उम्र ने किस्मत को अभिमान से कहा ।
“हाँ ! सब जानती हूँ मैं !
समय हमेशा तुम्हारे साथ रहा है और मेरे साथ जिम्मेदारियों का बोझ भला मैं तुम्हारे साथ कैसे चल सकती हूँ !”
किस्मत भी बोलने में कहा पीछे रहने वाली थी। “
दोनों की बातें सुन रहा समय दौड़ कर आया उम्र और किस्मत के कंधे पर हाथ रख कर कहने लगा, “
जब जागो तभी सवेरा हम एक साथ चलने की एक कोशिश तो कर ही सकते हैं ! ”
और मुस्कुरा कर तीनों निकल पड़ते हैं, मंजिल की तलाश में..!
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