चारपाई

चारपाई

चारपाई का नाम सुनते ही हमें फिल्मी गीत याद आ जाते है…

सरकाई ले खटिया जाड़ा लगे… या धीरे से जाना खटियन में ओ, खटमल धीरे से जाना खटियन में…

हिंदी में चारपाई या खटिया, मराठी में खाट, पंजाबी में मंजी

पुराने समय के लोगो की विचारधारा प्रैक्टिकल होती थी,

आज के युग में हमने तरक्की की है,

पर हम आज तक समझ नहीं सके भारतीय जीवन पद्धति के पीछे का विज्ञान…

चारपाई

अब विदेशों में भारत के गरीब लोगों की लकड़ी की नारियल के रस्सी से बुनी खाट इतने महंगे दामों में बिक रही है।

सोने के लिए खटिया हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है।

चारपाई में भले कोई सायंस नहीं है, लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके।

चारपाई बनाना एक कला है। उसे नारीयल के रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।

जब हम सोते हैं, तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है;

क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाना खाने के बाद ही सोते हैं।

पेट को पाचन क्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है।

इसलिए सोते समय चारपाई की झोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।

आरामकुर्सियां देख लें, सभी में चारपाई की तरह झोली बनाई जाती है।

बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की झोली का होता था।

चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है।

दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।

चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है,

सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है।

खटिये को धूप में रखने से खटमल, दीमक इत्यादि भी नहीं लगते हैं।

अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देते है तो दो तीन दिन में उसको स्पंज के गद्दे पर सोने से bed-sores शुरू हो जाता है।

भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है।

चारपाई पर bed-sores नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है।

चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है।

चारपाई पर सोने से खुद ब खुद सारे शारीर का Acupressure होता रहता है।

गर्मी में छत पर या आंगन में चारपाई डालकर सोने का आनंद ही और है।

ताज़ी हवा, बदलता मौसम, तारों की छाव, चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती है।

घर में नारियल के रस्सी से बुनी हुई स्वदेशी चारपाई पर सोने से आप हजारों रुपये की दवा और डॉक्टर का खर्च बचा सकते है।

आइए एक बार पु:न हम पुरानी परंपराओं के और चलते हैं…

घर में एक चारपाई रखते हैं।

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featured Photo by Ashwini Chaudhary on Unsplash

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About रविंद्र पुरंदरे 7 Articles
नाम - रविंद्र पुरंदरे शहर - इन्दौर शिक्षण - B.Sc. व्यवसाय - स्व-व्यवसाई स्वतंत्र लेखन का शौक। अनेक लेख, आलेख, कहानियां नए फिल्मों की समीक्षाएं समाचार पत्रों में प्रकाशित। संगीत आयोजनों से जुड़ाव, शहर के संगीत संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी।
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