जीवन का उद्देश्य

जीवन का उद्देश्य

जीवन का उद्देश्य

वैसे तो प्रकृति की सभी घटनाएँ मानव जीवन को प्रभावित करती हैं और कुछ ना कुछ शिक्षा अवश्य देती है

परंतु सूर्योदय और सूर्यास्त प्रकृति की ऐसी विचित्र दो घटनाएँ हैं जो हमें बहुत अनमोल शिक्षा दे जाती है।

जहां हर सूर्यास्त हमारे जीवन का एक दिन कम कर देता है

वहीं हर सूर्योदय हमें आशाओं से भरा हुआ एक दिन और दे देता है।

इसलिए हमें हमेशा आशावादी बने रहकर,

हमेशा सकारात्मक सोच रखते हुए आज हम जैसे हैं कल स्वयं को उससे बेहतर बनाने का प्रयास करें।

जीवन में हमेशा अच्छे कार्य करते रहना चाहिए परंतु शर्त यह है कि उसका अहंकार हम ना करें।

अहंकार तब आता है जब हमें लगता है कि हमने कुछ कर लिया है।

बस यहीं मानव गलती कर बैठता है।

जबकि समाज में सम्मान तब मिलता है जब दुनिया को लगता है कि हमने कुछ किया है।

मनुष्य जीवन प्राप्त कर इस दुनिया में हम आए हैं तो ऐसा कुछ करें या ऐसे जिए कि मरने के बाद भी जिंदा रहे ।

यदि हम ऐसा ही चाहते हैं, तो एक काम अवश्य करना होगा या तो लोगों के पढ़ने योग्य कुछ लिख कर जाएं या लोग हम पर कुछ लिखें ऐसा कार्य कर जाएं।

विश्व में जितने भी महान लोग हुए हैं उन्होंने या तो आने वाली पीढ़ी के लिए ज्ञानवर्धक बातें लिखी है

उदाहरणार्थ – हमारे वेद, पुराण और शास्त्र इसका प्रमाण है

या वे अपने जीवन काल में ऐसा कुछ कर गए हैं कि आज तक लोग उनके बारे में लिखते रहते हैं

जैसे — भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद इसका उदाहरण है ।

अच्छी भूमिका, अच्छे लक्ष्य और अच्छे विचारों वाले लोगों को ही हमेशा याद किया जाता है

मन में भी, शब्दों में भी और जीवन में भी।

अतः हर मानव की यही इच्छा होनी चाहिए कि इस दुनिया से चले जाने के बाद भी वह जिंदा रहे।

यही मानव जीवन प्राप्त करने का मुख्य उद्देश्य है।

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Image by Pexels from Pixabay

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About डॉ मनोरमा उपाध्याय 2 Articles
मैं डॉक्टर मनोरमा उपाध्याय खंडवा । मैं सेवानिवृत्त प्रधान पाठक शिक्षा विभाग हूँ । शिक्षा: एम ए , जूनियर रिसर्च फैलोशिप एंड लेक्चररशिप(J R F I ) अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक योग्यता परीक्षण प्रतियोगिता परीक्षा उत्तीर्ण पीएच .डी .(संस्कृत) शौक(रूचि): गीता रामायण वेद पुराणों का पठन करना एवं सत्संग श्रवण करना। मेरे दो पुत्र , एक पुत्री , तीन पोते, एक पोती, एक नाती और एक नातिन है, ईश्वर की कृपा से यही छोटा सा मेरा परिवार रूपी बगीचा है। ईश्वर को धन्यवाद।
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