
मेरे शहर बसंत आया
लहराता मुस्कुरा कर आया पिय से मिलने की सौगात लाया
देखकर एक दुजे की हंसी हुई मंद
उर में भरी सुंदर स्पद
प्रिय की अशब्द श्रृंगार मुखर
नत नयनों से आलोक उतर
कापे अधरो पर थर
आया बसंत मेरे शहर
Photo by Zoë Gayah Jonker on Unsplash
मेरे शहर बसंत आया
लहराता मुस्कुरा कर आया पिय से मिलने की सौगात लाया
देखकर एक दुजे की हंसी हुई मंद
उर में भरी सुंदर स्पद
प्रिय की अशब्द श्रृंगार मुखर
नत नयनों से आलोक उतर
कापे अधरो पर थर
आया बसंत मेरे शहर
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