ऊर्जा का पर्व मकर संक्रांति

हमारी भारतीय संस्कृति में पर्वो का वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत महत्व है | उनमे मकर संक्रांति हिन्दुओं का मुख्य पर्व है | वैसे भारत वर्ष में गणपति, शिव, हरि, भास्कर, अम्बा ये पाँच देवों को बड़ी श्रद्धा से पूजा जाता है | इनमें भास्कर (सूर्य) के ही साक्षात् दर्शन होते हैं | यह सूर्य उपासना का पर्व हैं | सूर्य प्रकाश और ऊर्जा का एक मात्र स्त्रोत है, इसलिए उनकी आराधना करके उनके प्रति आभार प्रकट करने का दिन है |

सूर्य हर महीने हर राशि में प्रवेश करते है, उस काल को संक्रमण काल कहा जाता है, इसी दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, और इसी दिन सूर्य कर्क रेखा से मकर रेखा में प्रवेश करते है, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहते हैं। इसी दिन गंगाजी का पृथ्वी पर अवतरण होकर वे सागर में मिली, इसलिए गंगासागर स्नान का बहुत महत्व है।

संक्रांति पर्व की विशेषता यह है कि यह पुरे भारत वर्ष में अलग-अलग नामों, तरीकों व परंपराओं के साथ बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। ये सूर्य की ऊर्जा व तेज से चहुँ और नवीनता और परिवर्तन का प्रतीक है। इस दिन दान (अलग-अलग प्रदेश में) पुण्य व पूजा-अर्चना का भी बहुत महत्व है।

खिचड़ी के साथ गुड़ के दान का महत्व ये दर्शाता है कि मिलजुल कर मिठास के साथ रहे। तिल, गुड़, घी से बने लड्डू का भी विशेष महत्व है, इससे हमारा शरीर पुष्ट होता है। तिल, गुड़, घी अपने आप में अलग-अलग ही पौष्टिक है, फिर अगर ये तीनो मिल जाए तो उसकी पौष्टिकता का कहना ही क्या !

इस दिन हल्दी कूंकू भी किया जाता है, हल्दी भाल पर लगाना यानी बुद्धि को पुष्ट करना, बुद्धि के पुष्ट होने से हमारे विचार पुष्ट होंगे। हल्दी कूंकूं का प्रचलन, तिल गुड़ के लड्डू – ये हमे कुछ सीखने की प्रेरणा देते हैं, जैसे –

  • संग – अच्छे लोगो का संग, दो नदियों का संगम, दो सम्प्रदाओं का संग या भाव-विचारों का संग, तो एकता बानी रहेगी।
  • संघ – जितना ज्यादा अच्छा संग होगा, उतना बड़ा संघ बनेगा और संबंधो में प्रगाढ़ता आएगी।
  • समत्व भाव – सम भाव से दया का भाव आयेगा, सभी सहायता करेंगे, अहंकार न होगा, सम्मान का भाव जाग्रत होगा, सबको सम्मान की दृष्टि से देखेंगे, ये सब पुष्ट बुद्धि से ही संभव है। मकर संक्रांति संग क्रांति करने का आह्वान करती हैं।

आज हमें संक्रांति पर्व पर तिल-गुड़ की पौष्टिकता से प्रेरणा लेना है, और अच्छे विचारों के साथ समाज को, देश को पतंग की ऊंचाई सा उन्नत बनाना है, और आगे आने वाली पीढ़ी को भी इसका ज्ञान कराना है, तभी हमारा ये संक्रांति पर्व मनाना सार्थक होगा।

~ चंचला प्रकाश शुक्ला ~

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डॉ भावना बर्वे
डॉ भावना बर्वे
2 years ago

आपके द्वारा लिखे हुए लेख की जानकारी महत्वपूर्ण है, आभार

डॉ भावना बर्वे
डॉ भावना बर्वे
2 years ago

आपने वैज्ञानिक तथ्य के साथ हमारे इस संक्रांति पर्व को जोड़ा ,जो सराहनीय है।

मुकेश बर्वे
मुकेश बर्वे
2 years ago

अच्छी जानकारी

shashi Dubey shukla
shashi Dubey shukla
2 years ago

बहुत रोचक जानकारी