“राम”

सीताराम

शीर्षक : सीताराम

“राम” वह जो आराम दें, आराम से तात्पर्य है–राहत-शांति-सुकून।

“राम”— वह जो शीतलता प्रदान करें

राम शब्द के उच्चारण मात्र से हमारे तन मन में एक शीतलता ठंडक का अहसास होने लगता है।

जब राम शब्द इतना शीतल है तो राम कितने शीतल होंगे?

“राम” जो उत्साहवर्धन करें ,विपत्ति से मुक्ति प्रदान करें।

यह समुद्र मंथन के समय शिव ने विष पान किया तो अपने आराध्य भगवान राम का स्मरण किया |

और देखिए—–

“रा” शब्द बोलते ही मुख का दरवाजा खुल गया (“रा” अक्षर कंठ से निकलता है और ओंठ खुल जाते हैं)

“म” का उच्चारण करने से फाटक पुन: बंद हो गया।(“म” वर्ण ओष्ठव्य है और उच्चारण करने पर ओठ बंद हो जाते हैं)

मुखका दरवाजा म ने बंद कर दिया और अंदर योग के द्वारा शिव ने अपने कंठ मार्ग को अवरुद्ध कर उस विष को गले में ही पचा लिया |

और नीलकंठ कहलाए अपने आराध्य राम की कृपा से।

“राम” जो मर्यादा शील हो। राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं।

उन्होंने स्वयं अनेक कष्ट उठाए लेकिन मर्यादा को भंग नहीं किया।

जिनका नाम ही मर्यादित हो वे मर्यादा पुरुषोत्तम होंगे ही।

देखिए—–

राम लिखते हैं तो रा के पश्चात आ की मात्रा का लंबा डंडा आ जाता है |

और पीछे मर्यादा का म है आ की मात्रा का डंडा मर्यादा का प्रतीक है।

हमारे राम के नाम में राम शब्द एक अद्भुत व सुंदर शब्द है। तुलसीदास ने राम शब्द। की सुंदर व्याख्या की है।

देखिए

एक छत्र एक मुकुट मणि सब बरनिन पर जोऊ।
तुलसी रघुवर नाम के वरण विराजत दोऊ।।

तुलसीदास

राम के नाम में पहला अक्षर र कार छत्र होकर व दूसरा अक्षर मकार मुकुट में हीरा होकर सब वर्णों के ऊपर रहता है।
प्रभाव कारी राम का नाम=

राम नाम को कल्पतरु, कलि कल्याण निवासु।
जो सुमिरत भए भांग से, तुलसी तुलसीदासु।।

तुलसीदास

राम नाम जपने से केवल बाल्या भील ही वाल्मीकि नहीं बने बल्कि तुलसीदास जी मादक भांग के पौधे से पवित्र तुलसी का पौधा बन गए।
राम नाम रूपी मणिदीप—–

“राम नाम मणि दीप धरू, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहिरै, जो चाहत उजियार।।”

पूर्ण ब्रह्म राम—– रीतिकाल के कवि केशवदास नेतो राम को पूर्ण ब्रह्म पुराण पुरुषोत्तम मान कर रामचंद्रिका की रचना की

देखिए राम किस प्रकार पूर्णब्रह्म हैं—-

१/ राम का जन्म रामनवमी को हुआ गणित की दृष्टि से 9 का अंक पूर्णांक है। यह 9 का अंक पूर्ण ब्रह्म का अंक है।
२/ यदि ब्रह्म शब्द का विग्रह किया जाए तो

ब+र+ह+म होता है
व वर्ण का वर्णमाला में स्थान होता है २३वां
र वर्ण का वर्णमाला में स्थान होता है २७वां
ह वर्ण का वर्णमाला में स्थान होता है ३३वां
म वर्ण का वर्णमाला में स्थान है २५वां
२३+२७+३३+२५=१०८

यदि१०८ में से ०को हटा दिया जाये तो १+८=९ होता है |

इसीलिए ब्रह्म अर्थात राम को पूर्ण ब्रह्म माना है हम कहते हैं सीताराम जो अपने आप में पूर्ण ब्रह्म का स्वरूप है|

तो देखिए इसका विश्लेषण—-

सीता—-स्+ई+त्+आ
सवर्णका स्थान वर्णमाला में३२वां है
ई(स्वर) का स्थान वर्णमाला में चौथा है
तवर्णका स्थान वर्णमाला में१६वां है
आ स्वर का स्थान वर्णमाला में२रा है
तो देखिए
३२+०४+१६+२=५४ स् +ई+त्+आ=५४

अब देखिए राम शब्द का विग्रह
र्+आ +म
र् वर्ण का वर्णमाला में स्थान२७वां है
आ स्वर का स्थान वर्णमाला में२रा है
म वर्ण का स्थान वर्णमाला में२५वां है
२७+२+२५=५४
५४+५४=१०८

सीता=५४+राम+५४=१०८

अर्थात सीताराम पूर्ण ब्रह्म का स्वरूप हैं।

ऐसे पूर्ण ब्रह्म का नाम जाप सबसे बड़ा यज्ञ है राम नाम चाहे जो व्यक्ति चाहे जिस अवस्था में चाहे जिस समय भज सकता है।

राम नाम की महिमा भक्ति काल के राम भक्ति शाखा के कवियों ने विशेष रूप से गाई हैं कबीर दास ने तो यहां पर घोषणा कर डाली कि

” राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट।
अंतकाल पछताएगा, प्राण जाएंगे छूट।।”

ऐसे हैं हमारे भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
जय श्री राम

और पढ़ें : तीज त्यौहार

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About शांता गीते 3 Articles
शांता अशोक गीते (खंडवा) स्नातक और संस्कृत की कोविद तक की परीक्षाएं विशेष योग्यता से उत्तीर्ण सेवा निवृत्त शिक्षिका , साहित्य सृजन एवं निमाड़ी बोली और निमाड़ी संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए प्रयत्नशील, निमाड़ी में पुस्तक प्रकाशित "हिवड़ा की वात" मध्य प्रदेश सरकार की पत्रिका "चौमासा" में रचनाएं प्रकाशित आकाशवाणी इंदौर एवं खंडवा एवं भोपाल दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण प्रगतिशील ट्रस्ट इंदौर द्वारा"नार्मदीय शिरोमणि अलंकरण" सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी खंडवा द्वारा सम्मानित "निमाड़ की मीरा"अलंकरण विश्व ब्राह्मण संघ द्वारा सम्मानित
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