
शीर्षक: ईश्वर कृपा
स्वयं प्रकृति ने कुछ नियम बनाए हैं। वे नियम प्रकृति पर ही नहीं वरन संपूर्ण सृष्टि पर भी लागू होते हैं।
जो सार्वकालिक हैं, बहुत सही और उपयुक्त है।
जैसे हर काली अंधियारी रात्रि के बाद सुहानी सुबह का आना|
भीषण गर्मी के बाद प्राणियों को उससे छुटकारा दिलाने के लिए शीतल पानी की बौछारों का आना|
पतझड़ के बाद आनंददायी बसंत ऋतु का आना|
कष्टदायी जर्जर अवस्था के बाद पुनः नन्हे सुंदर शिशु के रूप में जन्म लेना।
ये सब उदाहरण हमें बताते हैं कि समय के परिवर्तन के साथ कुछ वस्तुएं अनुपयुक्त हो जाती है |
उनका त्याग करना आवश्यक हो जाता है।
जिस प्रकार काली अंधियारी रात्रि के बाद सूर्य उदय होता है|
तो उसके आगमन से पूर्व ही पक्षी गण मधुर कलरव करने लगते हैं।
मानो वेदज्ञ वेद की ऋचाएँ बोल रहे हो। सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पहुंचने से पहले ही कमल खिल जाते हैं।
पुष्पित वृक्षों के पुराने फूल झड़ने लगते हैं। नए पुष्प खिल जाते हैं।
मंद मंद बहती पवन उनकी सुगंध सभी दिशाओं में फैला देती है।
कुछ सूखे पत्ते भी नीचे गिर जाते हैं ।
उनके स्थान पर नवीन कोमल कोमल कोपलें निकल आती है।
इस प्रकार प्रकृति स्वयं का शृंगार कर लेती है
यही अवस्था कभी कभी मानव जीवन में भी आती है।
हम अवसादों कष्टों और परेशानियों से घिर जाते हैं तो टूटने लगते हैं ।
ऐसी परिस्थितियों में हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए|
क्योंकि ईश्वर टूटी हुई वस्तुओं को बड़ी सुंदरता से उपयोग में लेता है।
बादल टूटते हैं तो वर्षा होती है ।
मिट्टी टूटती है तो खेत तैयार होते हैं।
अनाज टूटता है तो फसल पैदा होती है ।
बीज टूटता है तो नया पौधा बनता है।
जब हम अपने आप को टूटता पाए तो विश्वास करो ईश्वर हमारा उपयोग कहीं और बेहतर रूप में लेना चाहता है ।
ईश्वर कृपा से पता नहीं कौन सी शुभ सुबह हमारे लिए नया उल्लास और नई खुशियां लेकर आ जाए। वह दिन हमारे लिए एक नया दिन होगा। हम में एक नई ऊर्जा होगी ।
नई स्फूर्ति होगी। हमारे मन में नए-नए विचार होंगे जो हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन कर देंगे। हमारा जीवन नई ऊर्जा के साथ पुष्पों की भाँति खिल उठेगा ।
हमारे विचारों और कर्मों की सुगंध से हमारा जीवन सुखमय और उल्लसित हो जावेगा। ईश्वर पर भरोसा रखते हुए आशावादी बने रहे । हमेशा सकारात्मक सोच रखें।
Photo by Ola Dybul on Unsplash
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बहुत बढ़िंया !🙏🙏