
मानवता यह शब्द अपने आप में मनुष्य हर मानव मात्र का अलंकार है, जो कि मानव सभ्यता की शोभा और गरिमा का द्योतक हैं। एक मनुष्य यदि अपनी मानवता को खो देता है तो वह पशुओं के भांति व्यवहार करता है
वर्तमान के इस युग में हमें मानव जाति का सम्मान रखना है। हमारा सौभाग्य है कि हमें मनुष्य जाति में जन्म मिला है, और उससे भी अधिक सुंदर है कि हमें भारत भूमि पर जहां इतने ऋषि यों संतों ने महात्माओं ने जन्म लिया है
वहां इस धरा पर हमें आत्मज्ञान से लेकर विज्ञान के परम शाखा तक के उदाहरण हमारी पीढ़ी के लिए प्रस्तुत किए गए हैं। वे हमेशा से ही हमारे मार्गदर्शक रहे हैं।
मानवता सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। हर मानव मात्र को चाहे वह विश्व में कहीं पर भी हो अपनी मानवता के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए ।वह साधारण नहीं अपितु उत्कृष्ट स्तर पर इस धरा पर आगे आने वाली पीढ़ी के लिए उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
मानवता का तात्पर्य है, मनुष्य का अपने समस्त मानवीय गुणों के साथ होना।
मानवीय गुण प्रेम ,सहिष्णुता क्षमा, सहनशीलता ,विवेक इत्यादि। यह मानवीय गुण हमारे जीवन को ऊपर उठाते हैं। हमारे दृष्टिकोण को दिव्य बनाते हैं।
जब हमारे विचारों में दिव्यता होती है तो हमारे शब्द भी सहज ही दिव्य हो जाते हैं, जिससे हमारे कर्म में भी दिव्यता झलकती है। यही हमारे संस्कार बन जाते है, जिससे हमारी नियति का निर्माण होता है।
तो आइए हम सभी अपने जीवन को, इस जन्म को दिव्यता से भर दे। जिससे हम एक सुंदर परिवार और समाज का निर्माण कार्य करने में अपना योगदान दे पाए। इस पृथ्वी को स्वर्ग बनाए। जहां दिव्य विचारों से दिव्य सत्ता स्वयं प्रतिबिंबित हो।
कोटि-कोटि नमन परमपिता परमात्मा को जिन्होंने हमें चैतन्य प्रकाश से परिपूर्ण ज्ञान के अमृत सरोवर.से सराबोर किया है। जो हम सभी में ,सर्वत्र व्यापत है।
विश्व शांति की मंगल कामना करती हूं और इस मानव जीवन के लिए हृदय से ईश्वर को धन्यवाद देती हूं।