
होली रंग बिरंगे तन मन का मन को उल्लसित करता हुआ त्यौहार ,सब ओर फ़ागुन का मद भरा रसीला वातावरण हवा में अलग ही खुनकी सी घोलता हुआ।
पर्व के 8 दिन पहले से ही फ़ागोत्सव मनाना आरम्भहो जाता है।मथुरा वृंदावन में फ़ागोत्सव की धूम देश विदेश में फैली हुई है।
“आज बिरज में होली रे रसिया “ और “मोहे मारो न श्याम पिचकारी “ जैसे गीतों से बृजधाम गूंज उठता है।
बरसाना की लठ्ठमार होली देखने विदेशी लोग बड़ी संख्या में आते हैं और फ़ागोत्सव का आनंद लेते हैं।
भगौरिया की धूम निमाड़ अंचलों में मचना शुरू हो जाती है । रंग बिरंगे परिधान उल्टे पलटे फैशन से लबरेज़ ।
आंखों पर गोविंदा स्टाईल चश्मा पहन सिगरेट के छल्ले उड़ाते आदिवासी युवा हाथों में महंगे सस्ते मोबाईल ,पेप्सी , कोला पीते मोटरसाइकिल पर कलाबाजी करते ,अपने को किसी हीरो से कम नही समझते ।
ओर आदिवासी नवयोवनाएँ भी छिटदार घाघरा चोली ओर ओढ़नी की जगह अब फैशनेबल सुंदर लहंगे और सलवार सूट में गाढ़ी लिपिस्टिक लगाए बनी ठनी हाथ मे मोबाईल लिए कुल्फ़ी खाते बतियाती दिखती हैं ।
फ़ागुन का महीना हवा में मदभरी खुनकी मांदल की थाप पर झूमते इन प्रणय प्रेमियों का कामनापूर्ण परिनयोत्सव होता है जहाँ मनपसन्द साथी को अपनाने को युवा बेचैन रहता है ।
टेसू ,हरसिंगार अपने शबाब पर होते हैं ।महुआ की मादकता लिए फ़ागुन का बेसब्री से इंतज़ार रहता है इन परिणय प्रेमियों को ।
भगोरिया पर्व की बढिया जानकारी
बहुत ही बढिया
बहोत बढिया चित्रण👌