एल्बम

एल्बम

दिवाली की साफ़-सफाई में एल्बम के ढेर को व्यवस्थित करते-करते,

नीता का मन अकस्मात् तस्वीरों को देखने के लिए मचल उठा

ज्यों-ज्यों तस्वीरों पलट-पलट कर देखने लगी,

वह जीवंत हो गई और मुखर होकर बीते लम्हो को बयान करने लगी।

तस्वीरों में बचपन की शरारतें और युवावस्था के सुनहरे लम्हो से चेहरे की झुर्रियों में चमक झिलमिलाने लगी।

परन्तु यह चमक धीमे धीमे लुप्त होने लगी, आँखें भीग रही थी,

हृदय में टीस-सी उठने लगी,मन द्रवित हो रहा था,

एक ही सवाल

“बढ़ती उम्र, परिपक्व उम्र का जश्न मनाए या अपनों के बिछड़ने का ग़म”

किसी तस्वीर में माता-पिता की ममत्व व स्नेह की पुकार सुनाई दे रही थी।

तो किसी तस्वीर में सास-ससुर की प्यार व लताड़।

कई तस्वीरें हमसफर के साथ गुजरे खट्टे-मीठे लम्हों के गीत गुनगुनाने लगी।

वर्तमान कब अतीत बन गया समझ ही न पाए

तस्वीरें ही है, जो यादों को चलचित्र की तरह गतिमान रखती है।”

बुदबुदाते हुए नीता ने ठंडी आह भरकर

एल्बम को बंद कर यथावत स्थान पर रख दिया।

कहानियां भी पढ़ें : लघुकथा

Photo by Rirri on Unsplash

शेयर करें
About डॉ संगीता कालरा (डिंपल) 5 Articles
डॉक्टर संगीता कालरा( डिंपल) एमके एच एस कन्या महाविद्यालय में हिंदी विभाग में सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत है। डॉक्टर संगीता कालरा लेखन कार्य में एवं पढ़ाई के क्षेत्र में अधिक रुचि लेती है इसके अलावा संगीत एवं खेल में भी रुचि रखती है।
1 1 vote
लेख की रेटिंग
Subscribe
Notify of
guest

0 टिप्पणियां
Inline Feedbacks
View all comments