मेरे गाँव का वो बूढ़ा बरगद

गाँव का वो बूढ़ा बरगद

निबंध: मेरे गाँव का वो बूढ़ा बरगद ……

मेरा गाँव, ये शब्द ही अंतरमन को कुछ ऐसी मिठास से भरी हुई यादों में ले जाते हैं

जहाँ से लौटने को फिर मन नहीं करता।

गाँव की मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू, खेतों की हरियाली बहुत सुकून देती हैं।

और इन सबसे बढ़कर गाँव के बीचोंबीच चौक मे खडा वो बूढ़ा बरगद का पेड़ ,

जैसे पूरे गाँव को छाया देने का कार्य उसे ही सौंपा गया हो।

इसके आँगन मे बने चबूतरे पर जाने कितने ही बच्चे खेले

और उन्हीं बच्चों ने बुढ़ापे मे कदम रखते ही जीवन के कड़वे मीठे हर अनुभव को यहीं तो साझा किया अपने मित्रों के साथ ।

बूढ़ा बरगद ऐसी कई पीढ़ियों का साक्षी बना हैं।

गाँव में हर कोई बडी आत्मीयता से मिलते जैसे कोई अपना सगा रिश्तेदार ही हो और वो भी निस्वार्थ भाव से।

यहाँ हर घर मे संयुक्त परिवार बसता हैं। बड़े बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक सब एकसाथ रहते हैं।ये तो पीढ़ियों से चला आ रहा हैं।

यहाँ बच्चे बहुत सी व्यवहारिक शिक्षा यूं ही पा जाते है ,

जीवन मूल्य बुजुर्गों से विरासत में मिलते हैं,

एकता से जीने की कला बडी आसानी से सीखते हैं बच्चे ,

क्योंकि सब एकसाथ जो रहते है।

गाँवों मे आजतक वृद्धाश्रम की जरूरत नहीं पड़ी ।

प्रकृति और रिश्ते बहुत कुछ मिलते जुलते से लगते हैं।

बूढ़ा बरगद जिसने अपने अंदर समायी है कइयों की पीड़ा ,दर्द,

कभी खुशियों के क्षण भी बांटे होंगे, कभी हंसी ठहाके की गुंज भी सुनी होगी।

कितनी सर्द हवाओं को ,तूफानों को और कितनी तपन सहन कि होंगी इस बूढ़े बरगद ने,

किन्तु तनिक भी उदासी ना छाई इसके मुख पर, सदैव ही मुस्कुराहट बांटी इसने।

इसके आँगन मे अजीब सी शांति और सुकून मिलता,

जैसे सारे संसार की तकलीफें कुछ क्षण के लिये मन से बहुत दूर चली जाती

जैसे कोई माँ की गोदी मे शांति से, निश्चिन्तता से सोया हो।

बूढ़ा बरगद हर गाँव में होता ही हैं

बस उसे उसके अपने दिखते रहे तो वह हमेशा जीवित रहता हैं

और मुस्कुराहट बांटता रहता हैं।

वैसे हर घर मे भी एक बुजुर्ग का होना जरूरी हैं

वह भी बरगद के वृक्ष की भाँति विशाल हृदय और छायादार होते हैं,

और बहुत से अनुभवों को अपने अंदर समाहित किये हुए हैं।

उनके प्रेम और आशीर्वाद की छाया हमें हर प्रकार की विपदाओं से बचाती हैं।

बस उन्हें जीवित रखना हमारा कार्य हैं ।

मेरे गाँव का बूढ़ा बरगद
जिसे देख मैं होती गदगद
प्रेम ही देता सबको हर क्षण
करती हूँ नमन मैं उसको हर पल

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Image by Suket Dedhia from Pixabay

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About जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी 17 Articles
नाम--जयन्ती चतुर्वेदी निवास--सनावद , जिला खरगोन शिक्षा--बी एस सी, एम ए हिंदी साहित्य
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