
आज देश की मिट्टी का तिलक
किया जाए
हर घर तिरंगा लिए गणतंत्र दिवस
मनाया जाए
कितने वीरों के बलिदानों के बाद यह
घड़ी आई है
संविधान अपना बने कुर्बानियां देकर
जन्नत पाई है
मुल्क के जांबाज़ संविधान का सपना
संजोए रखते थे
आजादी के खातिर अपनी जान
निछावर करते थे
मर मिटे अधिकार पर फौलादी सीना लिए
वे चलते थे
ना दर की फिकर ना जर की फिकर वतन कि
फिक्र वो रखते थे
तिरंगे की शान में मशाल हाथ मैं
लिए चलते थे
गगन तले धरती पे खड़े इसे ही दर
समझते थे
स्वतंत्रता मिले गणतंत्र बने जागती आंखों से
सपना संजोते थे
आजादी के खातिर अपनी जान
निछावर करते थे
फौलादी सीना लिए मातृभूमि की
रक्षा करते थे
आज झूमे भारतवासी गणतंत्र दिवस
की घड़ी आई
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