
Month: फ़रवरी 2021


अंजुरी – घनाक्षरी
अंजुरी में भर स्नेह,लागी श्याम संग नेह,दधि माखन मिश्री से,कान्हा को रिझाए रही। मन में बसे मुरारी,गोवर्धन गिरधारीचरण धूलि पाकर,आनंद पाए रही। चहक रही चांदनी,महक […]

और शाम ढल दी
और शाम ढल दी….जी भर निहारा न था,और घड़ियां चल दी।नैनों से नैन भी न मिल पायें,और रश्मियाँ चल दी। किरणें ज्यों-ज्यों ठंडी हो चली,समय […]

बौराने का आनंद
माह में मधु का प्रवेश हो रहा है, और जीवन में बसंत का उद्भव,, कामदेव ,,,,,,अपनी सज धज में मगन है,उनकी भावनाएंलता, फूल, पेड़, सब […]

कर्मों का फल
एक छोटे से गांव के बाहर एक पहाड़ी थी और उसके आसपास खाली जमीन भी थी।उसी गांव में एक कलाकार रहता था।उसकी कला बहुत ही […]

खिलखिलाता बसंत
बसंत ढेर से रंगों को ,मन में घोल देता है ,,केवल घोलता ही नहीं है,उन रंगों को बिखेर देने को ,आतुर भी दिखता है,कुछ रंग […]


ढाई आखर प्रेम का
चल “पडी” थी “जिन्दगी”बे रोक-टोक सुहानी सी,भर लिए थे”आँचल”में,कुछ पल आनंद के,ढाई आखर प्रेम का पढ़कर।ना कोई है अपना,ना था कोई बेगाना,ना है उम्मीद किसी […]

सखी वसंत ऋतु आई
सखी वसंत ऋतु आईजग मऽ खुशहाल छाईमन भावना ऋतु आईसखी मन मऽ उमंग भरी लाईसखी वसंत ऋतु आईमोर नाच्या, कोयल कूकीभवंरा न ताने सुणाईऋतुराज का […]

जीवन के रंग
हर रात की सुबह होना तय हैंआशाओं का सूर्योदय होना ही हैंदुख की रात भी बीत जानीं हैंसुखों का उदय फिर होना ही हैं सदा […]

शिवजी के प्रतीक
हर मंदिर में हमने शिव जी को एक लिंगी के रूप में देखा है उन्ही को हम पूजते हैं । किन्तु ज़ब शिवजी का ध्यान […]


कभी धूप कभी धुंध : हाइगा
‘हाइगा’ लेखन की जापानी विधा है ,जिसमें चित्र को आधार मानकर काव्य की रचना की जाती है। कभी धूप कभी धुंधगगन में छाई लहराईसूरज की […]



बसंत पंचमी – पूजन और महत्त्व
ऋतुराज का स्वागत, देवी सरस्वती प्राकट्य हिन्दू कैलेंडर के ग्यारहवें महीने “माघ” मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसन्त पंचमी कहते हैं। हमारे यहाँ […]

त्यौहार के व्यंजन – वसंत पंचमी के लिए केसरिया कलाकंद
केसरिया कलाकंद सामग्री: १ चम्मच घी १ कप दूध २०० ग्राम पनीर (कद्दु कस) १/२ कप मिल्क पावडर १० से १२ काजू का महीन पेस्ट […]

बौद्धिक विकास में सहायक किताबें
पढ़ने की प्रक्रिया से संवादों को उचित रूप से बोलने की आदत आत्मविश्वास का निर्माण करती है, और साथ ही जिज्ञासा जैसे भावों को भी जन्म देती है।पढ़ने की प्रक्रिया से ..

गणेश चतुर्थी व्रत क्यों?
चतुर्थी के दिन आकाश में सूर्य व चंद्रमा की स्थिति ऐसी कक्षा में होती है, कि उस दिन मानव का मन सहज कार्यों को करने […]

मेरा बसन्त
सुन री सखीआज आँगन में कागा कांव कांव बोला।मन हरष उठा,आएगा कोई अपना प्यारा।री सखी बता दे कौन है वो। उसके आने की आहट हवाओं […]



चीन को ललकार
लद्दाख की गलबान घाटी में बस गूंजे एक ही नारा।चीन तुझे ललकार रहा है यह भारत देश हमारा।देश पर जीना देश पर मरना यही है […]




हार के बाद ही जीत है
उस श्रेष्ठी वर्ग के शांत कॉलोनी में आज और अधिक सन्नाटा था।प्रोफेसर साहब के बंगले के बाहर लोग ग्रुप बनाकर खड़े थे, फुसफुसाहट की आवाज […]

क्या कहे बीता साल क्या ले गया
किसी बूढ़ी आखों की उम्मीदेंकिसी युवा की ख्वाइशें ।क्या क्या नही ले गया।कहने को पूरा साल था ,लेकिन करने को कुछ नही किया।छोटे छोटे नन्हे […]


पंचज – भाग १
प्रकृति के पाँच “ज” महत्वपूर्ण हैं, जल, जमीन, जंगल, जन और जानवर क्योंकि प्रकृति में चहल पहल इन्हीं पंचज से है सदियों पुरानी परंपरा के […]

ज़िंदगी की उधेड़बुन
ज़िंदगी की सलाइयो मेंउनचास फंदे डालेकुछ उलटे बुने कुछ सीधेकई बिना बुने उधेड़ डालेइस उधेड़बुन ने अनजाने हीकईं पेटर्न बना डालेकुछ फंदे एक से दूसरी […]


बाल मजदूरी
मन चंचल मन बावरा मनसमझ ना पाएखेलने की उम्र में बालक बोझ ढोतानजर आएयह कैसी मजबूरी बचपन हाथों सेनिकला जाएकर में किताब की जगह बोझ […]

जीवन (जी-वन)
हमारा जीवन उस वन की तरह है।जिसमे सब कुछ है हरा-भरालेकिन फिर भी है सुनसान और अकेला ||जिसके एक पल चमकती धूप,तो अगले पल घना […]


सूक्ष्म कथाएं – राजा, निंजा
दयालु राजा एक राजा था। उसका नाम राजा हेनरी था। उसका बहुत विशाल राज्य था।तभी दूसरे राज्य के राजा ने राजा हेनरी के राज्य पर […]

मैं किसे बताऊं
सबकी परेशानियों को सुन लूंपर अपनी परेशानी किसे सुनाऊं सबके दर्द की दवा बताऊंपर अपना दर्द मैं किसे दिखाऊं सबके होठों पर मुस्कुराहट लाऊंपर मेरी […]


वर्ण पिरामिड – शमा, पतंग
विषय: शमा येशमाजलकेदिखाएगीगम के तममे डूबे इंसानको राह बताएगी विषय: पतंग मॉसखासंग मेपतंग लेखूले आसमातले यू उडाउनव वर्ष मनाऊं Photo by Abhishek Upadhyay on Unsplash

अनुशासन और स्वरचित रचनाएं
बच्चें अनुशासन सदैव अपने बड़ों से सीखते हैं।घर के माहौल और बड़ों की दिनचर्या का बच्चों पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। माता पिता द्वारा […]


लांडी को जीव हांडी म
मैंने सुना कुछ बड़बड़ा रही थी सासू माँ,जीव हांडी म रह्यज।पूरा नहीं सुन पाई।डरते हुए मैंने पूछा —क्या हुआ मम्मीजी?आपने कुछ कहा?हाँ!!!लांडी को जीव हांडी […]

क्षणिका – बेटी और माँ
बेटी जीवन प्रभा है वो,अंतर्मन की कथा,मर्यादा त्याग समर्पण,बेटी स्नेह बंधन। मां प्यार स्पंदन,महकता चंदन,पवित्र शीतल मन,सलिल सरिता सी,मां तुम अनुपम। Photo by Raghavendra V. […]


बचपन की यादें
खेत के खलियानों के बीच बचपन बितानाछोटी-छोटी खुशियों से जीवन को सजानामाँ की गोद मे ज़न्नत मिल जानाबाबा के प्यार और दुलार से गमों को […]

स्वेटर में बच्चे
बाल गोपाल, करते धमालसुंदर से, न्यारे से, लाल स्वेटर में बच्चेजैसे कोई खिलता हुआ गुलाब,इतना लाजवाबकि कोई सुंदर ख्वाबहमारी आंखों के सामने…लगता है नाचने..बच्चों की […]

ओशो वाणी: पद धुंघरू बांध
आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश (११ दिसंबर १९३१ -१९ जनवरी १९९०) ने परमात्मा के प्रेम में डूबे हुए परमशक्ति से मिलन की राह में चलने वाले […]

योग संगीत – धनुरासन
योग संगीत में पुनः आपका स्वागत है ! योग क्या है, इस विषय में एक संक्षिप्त जानकारी पिछले अंक में दी जा चुकी है । […]

रक्षा-प्रार्थना
क्या अर्वाचीन और क्या प्राचीनक्या उत्तर और क्या दक्षिणक्या शासक और क्या आधीनक्या नगरीय और क्या ग्रामीणहर क्षण होता प्रकाश क्षीण॥ हाहाकार बढ़ता हर दिनदेव […]

दिव्य महापुरुष – स्वामी राम कृष्ण परमहंस जी
श्री रामचंद्र व भगवान बुद्ध को छोड़कर अवतारी पुरुषों का जन्म संकटग्रस्त परिस्थितियों में ही हुआ है। वैसे ही रामकृष्ण जी भी किसी विशेष सुखद …


हंसी – एक रामबाण औषधि
रोते इस जहां मैं आए औररुला कर सबको जाना हैइस बीच की जिंदगी कोहंस के गुजारना है हंसी लबों पे आए जो देखेखुद कुछ पल […]

दुल्हन – ओढ़ के लाल चुनरिया
ओढ़ के लाल चुनरियाचली दुल्हन ससुरालमाथे पर बिंदिया चमकेहाथ चूड़ियां खनके लालओढ़ के लाल चुनरिया मेहंदी का रंग लिए हाथ मेंकजरारी आंखें मे संजोए सपनेछोड़ […]

त्यौहार के व्यंजन – वसंत पंचमी के लिए केसरिया भात
केसरी भात की विधि केसरिया भात या मीठे चावल एक पारम्परिक भारतीय मिठाई है । बसंत पंचमी के अवसर पर घरों में इस व्यंजन को […]


वतन है जान
दामोदर इस बार लम्बी छुट्टी मिली है ,कब जा रहा है घर ? नहीं अन्ना इस बार नहीं जाना, हमारे जाते ही सरहद पर दुश्मनों […]

कोरोना वाइरस
आज मैं बहुत खुश थी। अखबार में आज कोई बलात्कार का लेख नहीं छपा था । मन को संतुष्टि मिली। नहीं —–तो आए दिन तीन […]

प्रश्नचिह्न
सड़क पर उछलते-कूदते दो भाई बहन हाथों मे हाथ डाले चले जा रहे थे।भाई के पाँवों मे चप्पल और बहन नंगे पाँव। सड़क की बजरी […]

अब वक्त हमारा हैं
अब ना कोई रोक टोक ना कोई बंदिशअब जियो जी भरके क्योंकि अब वक्त हमारा हैं बीत गए वो डरे सहमे से दिनना भय कोई […]

नश्वर है यह काया
यह जीवन नश्वर है पल की खबर नहींआज जिए कल गुजरे मौत देती आगाज नहीं जीते जी इस दुनिया में कुछ ऐसा कर जाएना रहे […]

करके श्रृंगार बिटिया चली ससुराल
करके सोलह श्रृंगार मेरीबिटिया चली है ससुरालवह नन्हीं सी कली अबफूल बन गई मेरी बगियाछोड़ अपने चमन को चली जहां भी जाएगी अपनीमहक से सबका […]

अहंकार की परत
रोहित की स्टेट बैंक भोपाल में नौकरी थी, वहीं की सहकर्मी सलोनी रोहित को बहुत पसंद थी। साथ-साथ काम करते-करते दोनों एक दूसरे के बहुत […]


खून का रिश्ता
मेरी महरी नीलू अक्सर अपनी नन्हीं बेटी बेला को साथ ले आती थी। मैं बेला को बहुत कुछ खाने, पीने को दे देती, अपने बच्चों […]

हमारी धरोहर ‘ऋषि’
‘ऋषति-गच्छति संसारपारं इति ऋषि:।’ यह ऋषि की व्याख्या है।ऋषि की बुद्धि ईश समर्पित होने से ऋषि चिंतन में मानव को बदलने की शक्ति होती है। […]







दूसरों से अपेक्षा क्यों
क्यों नेहा तूने उस दिन मीनू से बात नही की वह मुझे बोल रही थी।बुआ मिलते से मुझसे मेरी ही शिकायत करने लगी । मीनू […]

उड़ान सपनों की
ख़्वाबों के परिंदों, चल पड़ो उस डगरजहाँ मयस्सर हो तुम्हारे सपनों का सफ़र वहशत न रखना की रास्ता पथरीला हैं,चलना शुरू करो तो हर सफ़र […]



आज कुछ अलग हो
आज कोई काम हाथ में मत लो। बरामदे में रखी कुर्सी पर बैठो, और लकड़ी की मेज़ पर पैर फैला लो,और तब तक बैठो जब […]

सुरक्षा कवच
सुधा की आज वापसी थी ,15 दिन मायके में कब बीत गए पता ही नहीं चला।भाभी ने हल्दी कुमकुम लगा कर विदा किया ,टैक्सी में […]

नन्हीं कली
चमन की कली अब फूलबन गुलशन को महकाएगीदो घरों की आबरू लेजीवन के पथ चलकरमंजिल तय कर जाएगीमुश्किल कितने भी आ जाएअपने पग ना डगमगाएगीशूल […]

मेरा अभिमान मेरा गाँव
सादा सा जीवन सादी सी वेशभूषा रहते हैं गाँव में।हर लहजे में सादगी ,मगर अनपढ़ता नही है मेरे गाँव में।झिझक है व्यवहार में, मगर फूहड़ता […]

समन्दर और महामारी
रात भर लहरों ने ,सिर पटक पटक कर,किनारे की रेत को धो दिया,समतल कर दिया किनारा,आभास ही नहीं होता,कोई गुजरा हो रात वहाँ से,दूर तलक […]

महात्मा गांधी
विधा: सायली खादीकी चादरआँखों पर ऐनकहाथों मेंलाठी बनाकरपहचान अपनीसत्य, अहिंसा केथे कट्टरपूजारी बंदरथे तीनबुरा मत कहोना देखो ,सुनो शरीरसे कृशकायपर थे बलवानपक्के इरादोंके देखेआँखों नेसपने […]

