मैं झरना हूँ

झरना

3 जुलाई, 2021 अनिता शुक्ला 0

नित बहना मेरा कामरोके से ना रूकना हैबहते ही हमेशा रहना हैमैं झरना हूँ राहें हों उँची नीचीया राहें हों टेढ़ीमुझको तो उन्हेंपार करके जाना […]

मन की बगिया

10 मार्च, 2021 अनिता शुक्ला 0

मन की बगिया मेंफूल खिले मुरझा गएआँसुओं से सींचावो बह ही गएबिखरना था जब यूँतो खिले क्यों थेखिलकर यूँ बिखर गएखिले मन को तोड़ गएहुनर […]

उठे सवाल

सवाल

8 मार्च, 2021 अनिता शुक्ला 0

अन्तर्द्वन्द में उठे सवाल हैंहिलौरे ऐसे ले रहे हैंसवालों से घिरा मन हैजबाव कहीं मिलते नहींसवाल जो अनछुए सेगहरी कश्ती में डूबे सेजबाव ऐसे मिलेजो […]

खुद के भरोसे

भरोसा

7 फ़रवरी, 2021 अनिता शुक्ला 0

चल पड़े थे सुनसान राहों पर ,जहां अंधेरों ने ही घेरा थाउजियारे की कोई उम्मीद न थीएक भरोसा खुद पर थाउसी भरोसे के सहारे चले […]

जवान

वतन है जान

7 फ़रवरी, 2021 अनिता शुक्ला 0

दामोदर इस बार लम्बी छुट्टी मिली है ,कब जा रहा है घर ? नहीं अन्ना इस बार नहीं जाना, हमारे जाते ही सरहद पर दुश्मनों […]