
राम पर क्या लिखूँ
राम पर क्या लिखूँ मेरी कलम में इतना सामर्थ्य नही की राम अनंत महिमा कह सकूँ । मेरे शब्दों में इतनी भक्ति नही की राम […]
राम पर क्या लिखूँ मेरी कलम में इतना सामर्थ्य नही की राम अनंत महिमा कह सकूँ । मेरे शब्दों में इतनी भक्ति नही की राम […]
मेरे पांच साल के बेटे को खाना खिलाते हुए । मैंने ऐसे ही पुछ लिया, की बेटा जब मैं बूढ़ी हो जाऊँगी ,जब मेरे हाथ […]
ओ दूरभाष की सुविधाओं , मुझे मेरी चिट्ठी लौटा दो। वो छोटो का नमन अभिवादन, वो बड़ो का स्नेहवादन।बंद लिफापे मे प्रियजन की अनुभुति लौटा […]
रोहित की स्टेट बैंक भोपाल में नौकरी थी, वहीं की सहकर्मी सलोनी रोहित को बहुत पसंद थी। साथ-साथ काम करते-करते दोनों एक दूसरे के बहुत […]
सादा सा जीवन सादी सी वेशभूषा रहते हैं गाँव में।हर लहजे में सादगी ,मगर अनपढ़ता नही है मेरे गाँव में।झिझक है व्यवहार में, मगर फूहड़ता […]
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