
धोखा अपनों का
ख़ाली कर गया मुझको, वो अपनों का धोखाकिताब ए ज़ीस्त से मिला वो औहाम का तोहफा ना कोई गमगुसार न ही कोई फरिश्ता रहा,तोहमत में […]
ख़ाली कर गया मुझको, वो अपनों का धोखाकिताब ए ज़ीस्त से मिला वो औहाम का तोहफा ना कोई गमगुसार न ही कोई फरिश्ता रहा,तोहमत में […]
ख़्वाबों के परिंदों, चल पड़ो उस डगरजहाँ मयस्सर हो तुम्हारे सपनों का सफ़र वहशत न रखना की रास्ता पथरीला हैं,चलना शुरू करो तो हर सफ़र […]
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