
कान्हा की निंदिया
कविता शीर्षक: कान्हा की निंदिया कान्हा करे अठखेलियाँ,यशोदा माँ होती है तंग।पास बुलाती, डांट लगाती,कान्हा को दुलारती पुचकारती।कान्हा को फिर पास सुलाती।। माँ यशोदा के […]
कविता शीर्षक: कान्हा की निंदिया कान्हा करे अठखेलियाँ,यशोदा माँ होती है तंग।पास बुलाती, डांट लगाती,कान्हा को दुलारती पुचकारती।कान्हा को फिर पास सुलाती।। माँ यशोदा के […]
व्यक्तित्व की वाणी निर्मित हो ऐसी,छू ले अंतर्मन, छाप छोड़े जीवन भर।बन जाओ चंदन के जैसे,जिस पर लिपटे रहते भुजंग।विष से भरा विषधर,ललायित पाने को […]
नारी क्यों हो अस्तित्व की तलाश में?किससे उम्मीद, किससे दरकार, अपनी पहचान की? तुम हो जगत जननी, देवी स्वरूपिणी ,जो हनन बीते समय का ,ना […]
आयो फागुन आयो,माघ पूनम ,डांडो होली को,गाढ़ो रे गाढ़ो…. वासंती पुरवइया केसंग,फागुन की गर्माहट,शीतल जल को पीबणू,भायो रे भायो… पूनम की होली का फेरा,हार -कंकण […]
26 जनवरी आ गई । सुबह से ही सड़कों पर चहल पहल दिखाई दे रही थी। किला मैदान में परेड, झंडा वंदन , हर प्रांत […]
बेटी तुम डरो नाहिम्मत से आगे बढ़ो ना। मानव की चीख-पुकार से विचलित हो ना।उनके रूदन से सहमोना,प्रण करो,घर में ही कैद रह लो ना। […]
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