कान्हा की निंदिया

कान्हा की निंदिया

कविता शीर्षक: कान्हा की निंदिया कान्हा करे अठखेलियाँ,यशोदा माँ होती है तंग।पास बुलाती, डांट लगाती,कान्हा को दुलारती पुचकारती।कान्हा को फिर पास सुलाती।। माँ यशोदा के […]

व्यक्तित्व

व्यक्तित्व

व्यक्तित्व की वाणी निर्मित हो ऐसी,छू ले अंतर्मन, छाप छोड़े जीवन भर।बन जाओ चंदन के जैसे,जिस पर लिपटे रहते भुजंग।विष से भरा विषधर,ललायित पाने को […]

आयो फागुन आयो

आयो फागुन आयो,माघ पूनम ,डांडो होली को,गाढ़ो रे गाढ़ो…. वासंती पुरवइया केसंग,फागुन की गर्माहट,शीतल जल को पीबणू,भायो रे भायो… पूनम की होली का फेरा,हार -कंकण […]

निकम्मा राजू

निकम्मा

राजू का बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता था। घर में जब भी पढ़ने की बात चलती, एकदम चुप बैठ जाता। डांट पड़ने […]