
जीवन एक बंगला
जीवन बना एक बंगला,साँचे में ढाल, चित्त चेतनासद्कर्म लगा कर लोहा,राम-नाम, सजाया जंगला। सत की ईट, ज्ञान की रेती,घोल प्रेम सीमेंट है लगाई,हरि नाम बनाई […]
जीवन बना एक बंगला,साँचे में ढाल, चित्त चेतनासद्कर्म लगा कर लोहा,राम-नाम, सजाया जंगला। सत की ईट, ज्ञान की रेती,घोल प्रेम सीमेंट है लगाई,हरि नाम बनाई […]
चल “पडी” थी “जिन्दगी”बे रोक-टोक सुहानी सी,भर लिए थे”आँचल”में,कुछ पल आनंद के,ढाई आखर प्रेम का पढ़कर।ना कोई है अपना,ना था कोई बेगाना,ना है उम्मीद किसी […]
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