जीवन बना एक बंगला

जीवन एक बंगला

3 अगस्त, 2021 सुषमा शर्मा 2

जीवन बना एक बंगला,साँचे में ढाल, चित्त चेतनासद्कर्म लगा कर लोहा,राम-नाम, सजाया जंगला। सत की ईट, ज्ञान की रेती,घोल प्रेम सीमेंट है लगाई,हरि नाम बनाई […]

पुस्तकें मन बहलाती

पुस्तकें

शीर्षक : पुस्तकें मन बहलाती पुस्तकों से है, हमारा सबका नातापढ़कर पुस्तकें, व्यक्ति ज्ञान पाता।पुस्तकों को हम सब रखें , सम्भाल,पुस्तकें है, हमारी भाग्य -विधाता!! […]

श्रृंगार

10 मार्च, 2021 सुषमा शर्मा 0

विषय -श्रृंगार मन हरण घनाक्षरी कर चली है श्रृंगार,एक अलबेली नार,नैन में अंजन सार,ये तो मतवाली है। माथे बिंदिंया है लाल,सुर्ख हैं गुलाबी गाल,दंत -पंक्ति […]

असली मोल

10 मार्च, 2021 सुषमा शर्मा 1

कावेरी ने अपने सिर पर भारी सा टोकना उठाया, जिसमें मट्टी के कुल्हड़,सकोरे दीपक और छोटी सुराही आदि थे…लेकर निकल चल पड़ीं थी अपनी ग्राहकी […]

अपराजिता

25 फ़रवरी, 2021 सुषमा शर्मा 0

मेरा जीवन है,हिरनी जैसाउन्मुक्त भरती कुलाँचे,बन-बन भटकती रही,हारी हूँ ना अभी,आगे भी ना हारूँगी।में नारी भारत की,कर्मठ,कठोर ,प्रतिज्ञाओं की पूर्णता हेतु,परीक्षा दे,तारामती भी,अपराजिता बन,गौरवगाथा बननारी […]

ढाई आखर प्रेम का

25 फ़रवरी, 2021 सुषमा शर्मा 1

चल “पडी” थी “जिन्दगी”बे रोक-टोक सुहानी सी,भर लिए थे”आँचल”में,कुछ पल आनंद के,ढाई आखर प्रेम का पढ़कर।ना कोई है अपना,ना था कोई बेगाना,ना है उम्मीद किसी […]