
Articles by वाणी गुप्ता


सपनों की उड़ान
जानवी जो एक छोटे से कस्बे में रहती थी। जिसे कला में बहुत रुचि थी। वह घर पर पड़े फालतू की वस्तुओं से कुछ भी […]


रंग दो नन्द लाल
मुझे कुछ ऐसे रंग दो नंद के लाल,तुम्हरे गले में जैसे बैजन्ती की माल। तुझ संग जोडू ऐसे अपना नाम,जैसे हो तुम राधा के श्याम। […]

जीवन (जी-वन)
हमारा जीवन उस वन की तरह है।जिसमे सब कुछ है हरा-भरालेकिन फिर भी है सुनसान और अकेला ||जिसके एक पल चमकती धूप,तो अगले पल घना […]