
ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत
शीर्षक-ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत वो उदास थी मैने पूछा , “अरी! आज तू चहक नहीं रही तो ,मेरा भी मन नहीं लग रहा रसोई […]
शीर्षक-ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत वो उदास थी मैने पूछा , “अरी! आज तू चहक नहीं रही तो ,मेरा भी मन नहीं लग रहा रसोई […]
सही गलत के शोर में मन जो लिया उलझाय ,कैसे हरि को पाएगा , गुरू बिन कौन बताय ।। स्वरग नरक तो यहीं धरे,, क्यूँ […]
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