नववर्ष ये प्रकृति का

नववर्ष

नववर्ष ये प्रकृति का है, और सृष्टि इसे मनायेगी। पल्लवित होंगे पुष्प-पत्र नव,नव अंकुर नज़र आयेंगे।। गीत ये सृष्टि कर्ता के कौशल का है,सर्व जगत […]

और शाम ढल दी

28 फ़रवरी, 2021 विनीता बर्वे 0

और शाम ढल दी….जी भर निहारा न था,और घड़ियां चल दी।नैनों से नैन भी न मिल पायें,और रश्मियाँ चल दी। किरणें ज्यों-ज्यों ठंडी हो चली,समय […]

मनोकामना

मनोकामना

9 फ़रवरी, 2021 विनीता बर्वे 0

किशोरवय ‘कामना’ कभी डॉक्टर, कभी एयर होस्टेस, कभी अभिनेत्री तो कभी करोडपति बनने वाली युवतियों ,महिलाओं की आए दिन आने वाली खबरों से प्रेरित होकर […]

ऋषि

हमारी धरोहर ‘ऋषि’

4 फ़रवरी, 2021 विनीता बर्वे 0

‘ऋषति-गच्छति संसारपारं इति ऋषि:।’ यह ऋषि की व्याख्या है।ऋषि की बुद्धि ईश समर्पित होने से ऋषि चिंतन में मानव को बदलने की शक्ति होती है। […]

क्योंकि गीता का सार

क्योंकि

25 दिसम्बर, 2020 विनीता बर्वे 0

कविता: क्योंकि गीता का सार ही है जीवन का आधार क्योंकि ;गीता का सार ही है जीवन का आधार… पूर्ण भक्तवत्सल है वो ,जिसने सुनी […]