हिंदी कविता, काव्य

समय की ही लिखावट
—- समय की लिखावट —- क्यों अपने समकक्ष मानते हो मुझे?क्यों मुझसे ईर्ष्या रखते हो? मैं नही हूँ बेहतर दिखने की किसी दौड़ में शामिलना […]
हिंदी कविता, काव्य
—- समय की लिखावट —- क्यों अपने समकक्ष मानते हो मुझे?क्यों मुझसे ईर्ष्या रखते हो? मैं नही हूँ बेहतर दिखने की किसी दौड़ में शामिलना […]
सीख लिया सागर में रहनामगरमच्छ से क्या डरनागोता खाकर जाना हैमोती लेकर है भरना थामी है पतवार हाथ में ,तूफान से फिर क्यों डरना ।लहरें […]
काश तुम समझ पातेमेरे मन में छिपी सवेंदनाओं को,आँसुओं के उमड़ते सैलाब कोजो तुम्हारी याद में निकले। काश तुम देख पातेमेरे सुनहले ख़्वाबों का संसार,जो […]
मुझे मेरा वो गाँव याद आता है .. बरगद की छाँव मेंबैठ के भुट्टे खाना,संग दोस्तों के वहाँ घंटों भर बतियाना,नहीं भुलाये भूलतावो गुजरा जमाना , […]
ये बात है मेरे देश के सम्मान की।ये बात है मेरे मान अभिमान की।हिन्दुस्तान की धरती है मेरी माता,बात करूंगा मैं हिन्दी के मान की। […]
हाइकु जापानी पद्धति है यह ३ लाइन की कविता होती है। इसका मुख्य गुण ” गागर में सागर भरना ” होता है यानी कि कम […]
हिन्दी भारत की मातृ भाषा हिन्दी वतन की शानआओ सब मिलकर बढ़ाएं हिन्दी भाषा का मान अपनेपन की बोली हर हिंदुस्तानी अपनाएंदेश की धरोहर संस्कृति […]
तोर मोर कछु जान न पाएमाझा तुझा भी ना पहचाने हम सबको अपनाते रहतेबहु भाषी पर हिन्द के है हम काये लला कित जाय रहे […]
जीवन बना एक बंगला,साँचे में ढाल, चित्त चेतनासद्कर्म लगा कर लोहा,राम-नाम, सजाया जंगला। सत की ईट, ज्ञान की रेती,घोल प्रेम सीमेंट है लगाई,हरि नाम बनाई […]
जब तक मुस्कुराती हुई आँखें शेष हैं।तब तक शेष है,गिर जानाऔर फिर उठकर खड़े होना,हर ज़ख़्म का भरते जाना,माफ़ करना और भूल जाना,अपने सबसे पास […]
शीर्षक: गुड़िया की शादी क ख ग घ नाच रहे हैझ झाड़ी में उलझ गया है,अ ब स को कौन बुलाये,,,ढ से ढोल को कोई […]
झरने की झंकार सुनअनमने पेड़ झूम जातेवीरान वादियों मेंखुश हो लहराते झरने कल कल यू बहतेपर्वतों को चीर राह चुन लेतेअपनी मौज में बहतेबरखा में […]
हिंदी दोहे मैट्रिक्स मीटर में रचित हिंदी कविता में स्व-निहित तुकबंदी का एक रूप है। कविता की यह शैली पहले अपभ्रंश में आम हो गई […]
शीर्षक : बंद दरवाजा की दस्तक हर तरफ अब खामोशी छाई बंद दरवाजे कीदस्तक कानों में सुनाई ,सिमट के रखा खुद को अपनो के संग […]
ये करोना से म्हारे बढ़ो डर लागे घर- घरमें पग पसारे, जो सुनी लेउ लोगां की बाता हाथ पाँवम्हारा फुलि जावे, दवाखाना मं जगा नई […]
शीर्षक: बचपन की याद नीम बरगद हो या पीपल,देते शीतल ठंडी छाव सदा।गांव का शांत वातावरण ही,हमको लगता हरदम प्यारा।चिंता फिकर नहीं है हमको,मिल जुल […]
वह नन्हीं सी कलीशाख़ पर बैठी।मुझे देख धीरे सेशर्माई, मुस्काई। कांटों की गोद मेंअस्तित्व अपना बचाती।एक दिन अचानकजोर से खिलखिलाई। फूल बनकर जग मेंअपनी सुगन्ध […]
प्रकृति नारी के रूपों सी नजर आती है जीवन के आरंभ से ही,नन्ही कली सी मुस्कुराती है।नन्ही सी प्यारी गुड़िया बन,अल्हड़, चंचल सी बहती जाती […]
फूल खिलके बिखर जाते हैंबगिया को इस तरह सजाते हैं अपने अस्तित्व को मिटा करभी बगिया को महकाते हैं भंवरों की मनमानी सहकर भी काटे […]
पर्यावरण का विनाश पतझड़ बीता सावन आया मौसमने ली अंगड़ाई फ़िज़ा में रंग बिखरे अब पपीहे कीगूंज सुनाई पंछियों की धरा पर चहचहाहट यह गूंजकानों […]
प्रथम-वंदन-गुरू-का: गुरू पूर्णिमा के अवसर पर जीवन में मिले समस्त गुरुओं को मेरा शत् शत् नमन। प्रथम वंदन करता हूँ गुरू का।जिसने जीवन दर्शन करवाया।आशीष […]
गुरु बिना ज्ञान ना जग में मिल पातागुरु ही शिष्य का जीवन खुशहाल बनाता गुरु स्वर्ग के सिंहासन में नजर आताबिन गुरु की आज्ञा ईश्वर […]
विषय -प्रीत हाइकु हाइकु जापानी पद्धति है यह 3 लाइन की कविता होती है। इसका मुख्य गुण ” गागर में सागर भरना ” होता है […]
बरखा ( हाइकु ) बरखा गुमजग हुआँ बैचेनप्रभु दो चैन। भूखा किसानसूख गए है खेतजल तो बरसाओ। आस लगाएबैठा है जग साराकृपा बरसा। वेक्सीन(हाइकु) लगे […]
शीर्षक: जोकर का दर्द दुनिया में सबसे मुश्किल काम है, अपने आप को आकार दे पाना।चित्रकार खुद को ही तराशने में, तल्लीन निहारता है बस […]
प्रभु से है प्रार्थना सब अच्छा हो,हृदय से है भावना सब अच्छा हो। श्वास प्रश्वास ना रुके कभी,हनुमत हरे दुःख दर्द सभी,नित करूँ आराधना सब […]
कविता शीर्षक: कान्हा की निंदिया कान्हा करे अठखेलियाँ,यशोदा माँ होती है तंग।पास बुलाती, डांट लगाती,कान्हा को दुलारती पुचकारती।कान्हा को फिर पास सुलाती।। माँ यशोदा के […]
शीर्षक: सुनहरा बचपन आज खोली जीवन की किताबहर पन्ने पर कुछ इस तरह था,जीवन के खट्टे-मीठे पलों का हिसाब,कभी कड़ी धूप मिली जीवन में,तो कभी […]
ख़ाली कर गया मुझको, वो अपनों का धोखाकिताब ए ज़ीस्त से मिला वो औहाम का तोहफा ना कोई गमगुसार न ही कोई फरिश्ता रहा,तोहमत में […]
क्या हो तुम …..रूप तेरा ध्रुवतारा , यौवन है जैसे चाँदनी ,प्रेम की आशा लगे , कौन है मनमोहिनी ……….चाल नवयौवना सी है , व्यवहार […]
मन तू न होना कभी अधीर ,संग अपनों के चल रखना थोड़ा धीर।देख अपनों की खुशियांहृदय से रहना सदा भगवन के आभारी,जब आये विपदा तुम […]
जय माँ नर्मदेजय माँ नर्मदे, विंध्यवासिनीजय माँ रेवा हृदयवासिनी! तुम हो जीवन मोक्ष दायिनी,आत्म तारिणी पाप नाशिनी, माँ नर्मदा की है महिमा न्यारी,माँ तो है […]
अन्नदाता का सम्मान होना चाहिए धरती को सर्वस्व मानकरअपना सर्वस्व न्यौछावर करतारात-दिन ही सेवक बनकरधरणी का हर क्षण मान बढ़ाताअत: अन्नदाता का सम्मान …… वसुधा […]
शीर्षक: यादों की साझेदारी आओ मिलजुल कर कुछ यादें ताजा करेंबचपन के ख्वाबों को एक-दूसरे से साझा करें ,करें याद वो कागज़ की नाव, साईकिल […]
मुखौटे हटे असली रंग सामने आयेंदूसरों को नहीं हम खुदको पहचानेहृदय में श्याम समा जायेंसारा संसार बृज नजर आयेंकाश, ऐसी होली अबके बरस आयें। अहंकार […]
आज मेथी का पराठाबणाया मन बइण जरा रुकजाेकांदा, काटयां मन दुई चारटमाटर भी नाखयां दुई चारखाेबज लसुण न आदाेहरी मिर्ची का साथजरा साे लाेण वाे […]
शीर्षक: ग़ज़ल – रेत फिसल रही है रेत फिसल रही हाथों सेथाम ले तू, मीठी बातों से। अपने घर पराए हो गएसुनकर पराई, बातों से। […]
शीर्षक : पलाश की होली अलसाये से घने जंगलों मेंपलाश की कली मुस्काई सी, सूखी सूखी पतझड़ की साखों परबसन्त की कोपल देख धरा फिर […]
शीर्षक: समाए साँवरे जब से तुम मेरे मन को भाए,मेरी दुनिया सारी तुम्हीं में समाए। साँवरे जब से तुम मेरे नैनों में समाए,मेरी आँखों में […]
कब सोचा था जिंदगी इतनी थम जायेगीन ऑफीस होगा, न बाजार होगादिन रात बस घर में, मैं और मेरा परिवार होगा कब सोचा था मानव […]
शीर्षक : क्षणों को जीते जाना उम्र को सहते जाना,क्षणों को जीते जाना,लो माला गूंथ ली,,,और वक्त सरक गया, दीनता और हीनता,,गुनगुनाते मच्छरों की भांतिहर […]
महाबली हनुमान,तात तोरे पवमान।अंजना के लाल प्रभुजग में पुजाएँ हैं। रविकर मुख धारेअसुर लाखों संहारेभगत वत्सल प्रभुराम को नमाएँ हैं। सिंधु सात लांघ करसीताजी की […]
शीर्षक : जय नर्मदा माई हो सदा तिहारी जय जय जयकारमैकल सुता तुम कलकल बहती धारमाई नर्मदा शिवसुता तुम देव ऋषिमुनि गणसब घाटों पर तिहारे […]
शीर्षक : स्वाभिमान ना बेचो अपने स्वाभिमान कोभरो उड़ान अपने आसमान कोइसकी उसकी बातों परमत कान दोतुम डटें रहोअपने इम्तिहान को फूल कांटे आएंगे हजारबढ़ते […]
मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे सबके घट – घट वासी,पिता का वचन निभाने को जो बन गए संन्यासी।माता कौशल्या की ममता भी रह गई थी प्यासी।अयोध्यावासियों […]
नारी ही नारायणीजन्म देने वाली जननीकहीं भी तेरा न होअपमानचाहे न मिले सम्मान रोज भले ही पूजाकरें न कोईपर न हो तुझ परअत्याचारमिले न समान […]
विषय: श्रृंगारविधा: मनहरण घनाक्षरी कनक सी कांति युक्त,रूप यौवनी संयुक्त,पोर पोर प्रेम सूक्त,कामिनी रिझाती है। अलक है मेघ माल,अधर रंगे हो लाल,भाल ज्यों कुमुद ताल,देह […]
शीर्षक : रघुपति राघव राजाराम श्रीराम जय राम जय जय राम।श्रीराम जय राम जय जय राम।श्रीराम जय राम जय जय राम।श्रीराम जय राम जय जय […]
शीर्षक: तूफान का अंदेशा हवाओं में कुछ हलचल है, थोड़े समझदार हो जाइए!!तूफान आने का अंदेशा है, थोड़े खबरदार हो जाइए!! बुझ ना जाए बेवक्त […]
व्यक्तित्व की वाणी निर्मित हो ऐसी,छू ले अंतर्मन, छाप छोड़े जीवन भर।बन जाओ चंदन के जैसे,जिस पर लिपटे रहते भुजंग।विष से भरा विषधर,ललायित पाने को […]
शीर्षक : राम ही के गुण गाई राम की महिमा अथाई,रे भाई!!!राम की महिमा अथाई।भोर से साँझ भई जग में, सब राम ही के गुण […]
संस्कृति की संवाहक बन रहती मैं हिन्दी हूँ,भारत माँ के ललाट में शोभित बिंदी हूँ। हर भाषा मुझसे शोभित है,पर मेरा मन क्यों आहत है। […]
कब मिलेगा इंसाफकब तक रुलाती रहेंगी सड़कसड़क सुरक्षा के लिए,बनाई गई एक तस्वीर।जो देखी नहीं गई,कहीं ओर ,जहाँ नजर डालो।बस एक खौफ, कुचलती गाड़ियां, रौंदते […]
ओ दूरभाष की सुविधाओं , मुझे मेरी चिट्ठी लौटा दो। वो छोटो का नमन अभिवादन, वो बड़ो का स्नेहवादन।बंद लिफापे मे प्रियजन की अनुभुति लौटा […]
‘हाइकु’ लेखन की एक जापानी विधा है। जो तीन पंक्तियों की होती है, इसमें पहली पंक्ति में पाँच अक्षर ,दूसरी पंक्ति में सात अक्षर एवं […]
मुझे कुछ ऐसे रंग दो नंद के लाल,तुम्हरे गले में जैसे बैजन्ती की माल। तुझ संग जोडू ऐसे अपना नाम,जैसे हो तुम राधा के श्याम। […]
एक बार हाईड्रोजन, बोली ऑक्सीजन से,मैं तो स्वयं जलती हूँ, तू सबको क्यों जलाता है।तुझको क्या मिल जाता है |ऑक्सीजन बोला, हाईड्रोजन से,तू मुझसे, दूर […]
शब्दों की पंखुड़ी, चंदन महका घर आंगनबौराये आम, टेसू फूले,मचली धरती, लहराई फसल,महक रही पुरवाई, बरखा बहार आई……अठखेली करे धूम मचाये,अधखिली धूप, लुक छिप जाये,अमृत […]
एक दिन हमारी श्रीमतीजी का चेहरा था तमतमाया,कहने लगी सुनिये जी, क्या जो अब तक है आटा खाया?क्या वह इन बैंक वालों से हमने पाया।मैंने […]
कल रात फिर से वो मेरे सपने में आया ,आया तो कई बार ,पर कल उसने मुझे बहुत तड़पाया। जानती हूँ, तुम्हें पाना मेरे लिये […]
मन की बगिया मेंफूल खिले मुरझा गएआँसुओं से सींचावो बह ही गएबिखरना था जब यूँतो खिले क्यों थेखिलकर यूँ बिखर गएखिले मन को तोड़ गएहुनर […]
‘हाइगा’ लेखन की जापानी विधा है ,जिसमें चित्र को आधार मानकर काव्य की रचना की जाती है। चलीं ये घर को शाम ढलीं हैंमेहनत कर […]
नारी हो तो नारीत्व का सम्मान करो तुम,नए सवेरे का आगाज करो अब आगाज़ करो तुमफूल बनकर देख लियातुम्हारे आंचल पर हाथ डालने मात्र से […]
फूल खिलके बिखर जाते हैंबगिया को इस तरह सजाते हैं अपने अस्तित्व को मिटा करभी बगिया को महकाते हैं भंवरों की मनमानी सहकर भी काटे […]
रोते इस जहां मैं आए औररुला कर सबको जाना हैइस बीच की जिंदगी कोहंस के गुजारना है हंसी लबों पे आए जो देखेखुद कुछ पल […]
नारी क्यों हो अस्तित्व की तलाश में?किससे उम्मीद, किससे दरकार, अपनी पहचान की? तुम हो जगत जननी, देवी स्वरूपिणी ,जो हनन बीते समय का ,ना […]
अतंराष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर समस्त नारी शक्ति को नमन 🙏 मेरे संग की नौ नारियाँ प्रथम पद मां का,जो जीवन की प्रथमपाठशाला […]
सुनकर मुरलीकी धुन कान्हाको ढूंढेवृंदावन ले गुलाल सखासंग खेले होलीकान्हा राधासंग भर पिचकारी सखी दौड़ी आई बरसानियासे गोपीयोसंग माखन मिश्री खाए कान्हा झूमे नाचेसखा गोपियोंसंग
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