हिंदी कविता, काव्य

राम का नाम
मापनी २१२ २१२ २१२ श्री सियाराम की मै करूं अर्चनाराम के धाम की मैं करूं कामना राम के नाम की तो महीमा ही अपार हैराम […]
हिंदी कविता, काव्य
मापनी २१२ २१२ २१२ श्री सियाराम की मै करूं अर्चनाराम के धाम की मैं करूं कामना राम के नाम की तो महीमा ही अपार हैराम […]
आयो फागुन आयो,माघ पूनम ,डांडो होली को,गाढ़ो रे गाढ़ो…. वासंती पुरवइया केसंग,फागुन की गर्माहट,शीतल जल को पीबणू,भायो रे भायो… पूनम की होली का फेरा,हार -कंकण […]
जिंदगी का पथ है बड़ा निरालाकभी धूप कभी छांव। वाला सुख दुख दो पंथ पर चलताहै यह जिंदगी का रथ निराला कभी अपने कभी पराए […]
‘हाइकु’ लेखन की एक जापानी विधा है। जो तीन पंक्तियों की होती है, इसमें पहली पंक्ति में पाँच अक्षर,दूसरी पंक्ति में सात अक्षर एवं तीसरी […]
‘हाइकु’ लेखन की एक जापानी विधा है। जो तीन पंक्तियों की होती है, इसमें पहली पंक्ति में पाँच अक्षर,दूसरी पंक्ति में सात अक्षर एवं तीसरी […]
अबला नहीं वह सबला है नारीही शक्ति का रूप कहलाती है कभी काली कभी चंडीकभी सती बन जाती है अपने हक को पाने रणभूमिमें ले […]
प्रेममगन मनमंत्र मनन लगननिराकार निरंजनजगतारन भक्तिपरमानंद प्राप्तिसद्गुरु संग प्रीतिमोहे लागीअनुरागी सद्ज्ञाननित्य आवाहनमुक्त करो भवबंधनसद्गुरु शरणनवसृजन अनुग्रहअपार अनंतअखिल अखण्ड सुरेश्वरसदाशिव नटेश्वरजगदीश्वर वरवदनासत्य सनातनशुभ गुण सदनाशुद्ध चेतनाअन्तर्गहना
अंजुरी में भर स्नेह,लागी श्याम संग नेह,दधि माखन मिश्री से,कान्हा को रिझाए रही। मन में बसे मुरारी,गोवर्धन गिरधारीचरण धूलि पाकर,आनंद पाए रही। चहक रही चांदनी,महक […]
और शाम ढल दी….जी भर निहारा न था,और घड़ियां चल दी।नैनों से नैन भी न मिल पायें,और रश्मियाँ चल दी। किरणें ज्यों-ज्यों ठंडी हो चली,समय […]
माह में मधु का प्रवेश हो रहा है, और जीवन में बसंत का उद्भव,, कामदेव ,,,,,,अपनी सज धज में मगन है,उनकी भावनाएंलता, फूल, पेड़, सब […]
बसंत ढेर से रंगों को ,मन में घोल देता है ,,केवल घोलता ही नहीं है,उन रंगों को बिखेर देने को ,आतुर भी दिखता है,कुछ रंग […]
चल “पडी” थी “जिन्दगी”बे रोक-टोक सुहानी सी,भर लिए थे”आँचल”में,कुछ पल आनंद के,ढाई आखर प्रेम का पढ़कर।ना कोई है अपना,ना था कोई बेगाना,ना है उम्मीद किसी […]
सखी वसंत ऋतु आईजग मऽ खुशहाल छाईमन भावना ऋतु आईसखी मन मऽ उमंग भरी लाईसखी वसंत ऋतु आईमोर नाच्या, कोयल कूकीभवंरा न ताने सुणाईऋतुराज का […]
हर रात की सुबह होना तय हैंआशाओं का सूर्योदय होना ही हैंदुख की रात भी बीत जानीं हैंसुखों का उदय फिर होना ही हैं सदा […]
‘हाइगा’ लेखन की जापानी विधा है ,जिसमें चित्र को आधार मानकर काव्य की रचना की जाती है। कभी धूप कभी धुंधगगन में छाई लहराईसूरज की […]
सुन री सखीआज आँगन में कागा कांव कांव बोला।मन हरष उठा,आएगा कोई अपना प्यारा।री सखी बता दे कौन है वो। उसके आने की आहट हवाओं […]
लद्दाख की गलबान घाटी में बस गूंजे एक ही नारा।चीन तुझे ललकार रहा है यह भारत देश हमारा।देश पर जीना देश पर मरना यही है […]
किसी बूढ़ी आखों की उम्मीदेंकिसी युवा की ख्वाइशें ।क्या क्या नही ले गया।कहने को पूरा साल था ,लेकिन करने को कुछ नही किया।छोटे छोटे नन्हे […]
ज़िंदगी की सलाइयो मेंउनचास फंदे डालेकुछ उलटे बुने कुछ सीधेकई बिना बुने उधेड़ डालेइस उधेड़बुन ने अनजाने हीकईं पेटर्न बना डालेकुछ फंदे एक से दूसरी […]
मन चंचल मन बावरा मनसमझ ना पाएखेलने की उम्र में बालक बोझ ढोतानजर आएयह कैसी मजबूरी बचपन हाथों सेनिकला जाएकर में किताब की जगह बोझ […]
हमारा जीवन उस वन की तरह है।जिसमे सब कुछ है हरा-भरालेकिन फिर भी है सुनसान और अकेला ||जिसके एक पल चमकती धूप,तो अगले पल घना […]
सबकी परेशानियों को सुन लूंपर अपनी परेशानी किसे सुनाऊं सबके दर्द की दवा बताऊंपर अपना दर्द मैं किसे दिखाऊं सबके होठों पर मुस्कुराहट लाऊंपर मेरी […]
विषय: शमा येशमाजलकेदिखाएगीगम के तममे डूबे इंसानको राह बताएगी विषय: पतंग मॉसखासंग मेपतंग लेखूले आसमातले यू उडाउनव वर्ष मनाऊं Photo by Abhishek Upadhyay on Unsplash
बेटी जीवन प्रभा है वो,अंतर्मन की कथा,मर्यादा त्याग समर्पण,बेटी स्नेह बंधन। मां प्यार स्पंदन,महकता चंदन,पवित्र शीतल मन,सलिल सरिता सी,मां तुम अनुपम। Photo by Raghavendra V. […]
खेत के खलियानों के बीच बचपन बितानाछोटी-छोटी खुशियों से जीवन को सजानामाँ की गोद मे ज़न्नत मिल जानाबाबा के प्यार और दुलार से गमों को […]
बाल गोपाल, करते धमालसुंदर से, न्यारे से, लाल स्वेटर में बच्चेजैसे कोई खिलता हुआ गुलाब,इतना लाजवाबकि कोई सुंदर ख्वाबहमारी आंखों के सामने…लगता है नाचने..बच्चों की […]
क्या अर्वाचीन और क्या प्राचीनक्या उत्तर और क्या दक्षिणक्या शासक और क्या आधीनक्या नगरीय और क्या ग्रामीणहर क्षण होता प्रकाश क्षीण॥ हाहाकार बढ़ता हर दिनदेव […]
रोते इस जहां मैं आए औररुला कर सबको जाना हैइस बीच की जिंदगी कोहंस के गुजारना है हंसी लबों पे आए जो देखेखुद कुछ पल […]
ओढ़ के लाल चुनरियाचली दुल्हन ससुरालमाथे पर बिंदिया चमकेहाथ चूड़ियां खनके लालओढ़ के लाल चुनरिया मेहंदी का रंग लिए हाथ मेंकजरारी आंखें मे संजोए सपनेछोड़ […]
अब ना कोई रोक टोक ना कोई बंदिशअब जियो जी भरके क्योंकि अब वक्त हमारा हैं बीत गए वो डरे सहमे से दिनना भय कोई […]
यह जीवन नश्वर है पल की खबर नहींआज जिए कल गुजरे मौत देती आगाज नहीं जीते जी इस दुनिया में कुछ ऐसा कर जाएना रहे […]
करके सोलह श्रृंगार मेरीबिटिया चली है ससुरालवह नन्हीं सी कली अबफूल बन गई मेरी बगियाछोड़ अपने चमन को चली जहां भी जाएगी अपनीमहक से सबका […]
ख़्वाबों के परिंदों, चल पड़ो उस डगरजहाँ मयस्सर हो तुम्हारे सपनों का सफ़र वहशत न रखना की रास्ता पथरीला हैं,चलना शुरू करो तो हर सफ़र […]
आज कोई काम हाथ में मत लो। बरामदे में रखी कुर्सी पर बैठो, और लकड़ी की मेज़ पर पैर फैला लो,और तब तक बैठो जब […]
सुधा की आज वापसी थी ,15 दिन मायके में कब बीत गए पता ही नहीं चला।भाभी ने हल्दी कुमकुम लगा कर विदा किया ,टैक्सी में […]
चमन की कली अब फूलबन गुलशन को महकाएगीदो घरों की आबरू लेजीवन के पथ चलकरमंजिल तय कर जाएगीमुश्किल कितने भी आ जाएअपने पग ना डगमगाएगीशूल […]
सादा सा जीवन सादी सी वेशभूषा रहते हैं गाँव में।हर लहजे में सादगी ,मगर अनपढ़ता नही है मेरे गाँव में।झिझक है व्यवहार में, मगर फूहड़ता […]
रात भर लहरों ने ,सिर पटक पटक कर,किनारे की रेत को धो दिया,समतल कर दिया किनारा,आभास ही नहीं होता,कोई गुजरा हो रात वहाँ से,दूर तलक […]
विधा: सायली खादीकी चादरआँखों पर ऐनकहाथों मेंलाठी बनाकरपहचान अपनीसत्य, अहिंसा केथे कट्टरपूजारी बंदरथे तीनबुरा मत कहोना देखो ,सुनो शरीरसे कृशकायपर थे बलवानपक्के इरादोंके देखेआँखों नेसपने […]
मेरा लहर लहर लहराएतिरंगा लहर लहर लहराएये अनुपम शोभा बढ़ाएतिरंगा देश की शान बढ़ाएहरा रंग है हरियाली काहार नहीं ये मानेदुत्कार नहीं ना तानेये हर […]
आज देश की मिट्टी का तिलककिया जाएहर घर तिरंगा लिए गणतंत्र दिवसमनाया जाएकितने वीरों के बलिदानों के बाद यहघड़ी आई हैसंविधान अपना बने कुर्बानियां देकरजन्नत […]
तुम्हारा स्वागतम तुम दशक तीसरे का हो पहला कदम।स्वागतम नववर्ष तुम्हारास्वागतम।स्वागतम नववर्ष…. उम्मीदों के लग गये तोरण यहाँ, झालरें आशाओं की है सज गई। स्वागतम […]
आँखों के संमदर में सुनहराअतीत डूब गयासाथ ही खो गएअनमोल रत्न –गिलहरी-सा बचपनमाँ का आँचलबाबूल का लाड़बहन का प्यारभाई का दुलारखो गई सखियाँ सारीसूने हो […]
मैं रचनाकार हूँमैं इस काल कीवह उत्पत्ति , फसादी , घुसपैठतत्व हूँजो देखती हूँवहीं लिखने की ताकत रखती हूँ मैं श्वेत रूई की पौनी हूँजल-जल […]
सूर्यनारायण हुए उत्तरायणचले धनु से मकर राशि, जग में बढ़ा प्रकाशआओ मनाएँ पर्व संक्रांति। गंगा चली भगीरथ के पीछे समा गई थी आज सागर में,करके […]
11 जनवरी लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन। विधा -मनहरण घनाक्षरी लाडला बेटा था नन्हेहटा पिता का साया तो,तैरकर शाला जावे,बहादुर […]
यह जीवन नश्वर है पल की खबर नहींआज जिए कल गुजरे मौत देती आगाज नहीं जीते जी इस दुनिया में कुछ ऐसा कर जाएना रहे […]
एक छोटी सी बच्ची थी,जिद करती थी खिलौने की, जिद्द थी नई किताब की।जिद कभी जूते चप्पल की,जिद थी नए कपड़ों की।जिद कभी हलवे की, […]
छलका है मन उल्लसित,प्रफुल्लित जीवन है बहता,बढ़ते रहें कल कल नदी से,देना सीखें हम नदी से-आओ बिखेरें प्यार की खुशबू। छोड़ के तेरा और मेरा,क्षणिक […]
हमें रोता छोडकर देखो, बिटिया चली ससुराल ।क्षण मे गुजर गये ये साल ,बिटिया चली ससुराल । हृदय से तुझे दूँ कैसे निकाल ,बिटिया चली […]
बेटी तुम डरो नाहिम्मत से आगे बढ़ो ना। मानव की चीख-पुकार से विचलित हो ना।उनके रूदन से सहमोना,प्रण करो,घर में ही कैद रह लो ना। […]
हे मुरलीधर मोरे कान्हामैं नित तोरा ध्यान धरुंहर दिन तोहरी राह निहारुंअब पधारो मोरे द्वार प्रभु ना करती मैं कोई शिकायतना कुछ तुझसे मांगतीमैं देखूं […]
—- स्वरग नरक —- सही गलत के शोर में मन जो लिया उलझाय ,कैसे हरि को पाएगा , गुरू बिन कौन बताय ।। स्वरग नरक […]
यीशु फिर तुम जन्म लो इस कलयुग में तुम्हें आनाबढ़ गया है पाप जहां में फिर दुनिया को दिखाना यीशु ने जन्म लेकर इंसानियत का […]
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