आयो फागुन आयो

आयो फागुन आयो,माघ पूनम ,डांडो होली को,गाढ़ो रे गाढ़ो…. वासंती पुरवइया केसंग,फागुन की गर्माहट,शीतल जल को पीबणू,भायो रे भायो… पूनम की होली का फेरा,हार -कंकण […]

नर्मदा

नर्मदा नदी ( हाइकु )

3 मार्च, 2021 सुभाष शर्मा 0

‘हाइकु’ लेखन की एक जापानी विधा है। जो तीन पंक्तियों की होती है, इसमें पहली पंक्ति में पाँच अक्षर,दूसरी पंक्ति में सात अक्षर एवं तीसरी […]

राम राज ( हाइकु )

3 मार्च, 2021 सुभाष शर्मा 0

‘हाइकु’ लेखन की एक जापानी विधा है। जो तीन पंक्तियों की होती है, इसमें पहली पंक्ति में पाँच अक्षर,दूसरी पंक्ति में सात अक्षर एवं तीसरी […]

सद्गुरु प्रीति : सायली विधा

3 मार्च, 2021 मेधा जोशी 0

प्रेममगन मनमंत्र मनन लगननिराकार निरंजनजगतारन भक्तिपरमानंद प्राप्तिसद्गुरु संग प्रीतिमोहे लागीअनुरागी सद्ज्ञाननित्य आवाहनमुक्त करो भवबंधनसद्गुरु शरणनवसृजन अनुग्रहअपार अनंतअखिल अखण्ड सुरेश्वरसदाशिव नटेश्वरजगदीश्वर वरवदनासत्य सनातनशुभ गुण सदनाशुद्ध चेतनाअन्तर्गहना

पिता

28 फ़रवरी, 2021 ममता कानुनगो 0

पिता — संबल और विश्वासउष्णता मे शीतलता का एहसास,,प्रतिकुलता मे आत्मविश्वास जगाते,,,अनुकूलता मे स्वावलंबन का पाठ पढा़ते,,,,हृदय की विषमता को हरनेस्नेह से मुझे गले लगाते, […]

अंजुरी – घनाक्षरी

28 फ़रवरी, 2021 ममता कानुनगो 0

अंजुरी में भर स्नेह,लागी श्याम संग नेह,दधि माखन मिश्री से,कान्हा को रिझाए रही। मन में बसे मुरारी,गोवर्धन गिरधारीचरण धूलि पाकर,आनंद पाए रही। चहक रही चांदनी,महक […]

और शाम ढल दी

28 फ़रवरी, 2021 विनीता बर्वे 0

और शाम ढल दी….जी भर निहारा न था,और घड़ियां चल दी।नैनों से नैन भी न मिल पायें,और रश्मियाँ चल दी। किरणें ज्यों-ज्यों ठंडी हो चली,समय […]

बौराने का आनंद

28 फ़रवरी, 2021 माया कौल 0

माह में मधु का प्रवेश हो रहा है, और जीवन में बसंत का उद्भव,, कामदेव ,,,,,,अपनी सज धज में मगन है,उनकी भावनाएंलता, फूल, पेड़, सब […]

खिलखिलाता बसंत

25 फ़रवरी, 2021 माया कौल 0

बसंत ढेर से रंगों को ,मन में घोल देता है ,,केवल घोलता ही नहीं है,उन रंगों को बिखेर देने को ,आतुर भी दिखता है,कुछ रंग […]

अपराजिता

25 फ़रवरी, 2021 सुषमा शर्मा 0

मेरा जीवन है,हिरनी जैसाउन्मुक्त भरती कुलाँचे,बन-बन भटकती रही,हारी हूँ ना अभी,आगे भी ना हारूँगी।में नारी भारत की,कर्मठ,कठोर ,प्रतिज्ञाओं की पूर्णता हेतु,परीक्षा दे,तारामती भी,अपराजिता बन,गौरवगाथा बननारी […]

ढाई आखर प्रेम का

25 फ़रवरी, 2021 सुषमा शर्मा 1

चल “पडी” थी “जिन्दगी”बे रोक-टोक सुहानी सी,भर लिए थे”आँचल”में,कुछ पल आनंद के,ढाई आखर प्रेम का पढ़कर।ना कोई है अपना,ना था कोई बेगाना,ना है उम्मीद किसी […]

मेरा बसन्त

सखी वसंत ऋतु आई

25 फ़रवरी, 2021 शांता गीते 0

सखी वसंत ऋतु आईजग मऽ खुशहाल छाईमन भावना ऋतु आईसखी मन मऽ उमंग भरी लाईसखी वसंत ऋतु आईमोर नाच्या, कोयल कूकीभवंरा न ताने सुणाईऋतुराज का […]

नर्मदा

नर्मदे हर

जय माँ नर्मदा अमरकंटक से निकली सहस्त्रनामसे जानी जातीनिर्मल जल ले कल कल बहती हर दिशा में…नजर आतीपापियों के पाप धोए दर्शन दे संतोंका मान […]

मेरा बसन्त

मेरा बसन्त

9 फ़रवरी, 2021 प्रभा शुक्ला 1

सुन री सखीआज आँगन में कागा कांव कांव बोला।मन हरष उठा,आएगा कोई अपना प्यारा।री सखी बता दे कौन है वो। उसके आने की आहट हवाओं […]

आनंद

माघ

9 फ़रवरी, 2021 विभा भटोरे 0

माघ माह अलबेला है,आज तू ना अकेला हैजा रहे है आमजन,तू भी चल आनन्द की बेला है।स्नान का पर्व भी होता है!!!देख संतों का रेला […]

भँवरा

मोक्ष

9 फ़रवरी, 2021 वीणा मंडलोई 0

आँखें खोलते ही ,नन्हा भँवराऊपर देखता है ,एक रोशनी उसे बुलाती हैवो उड़ान भरता है ,ज्यादा ऊँची नही ,,बस थोड़ा ही ऊपर ,खुश हो नीचे […]

mask

क्या कहे बीता साल क्या ले गया

किसी बूढ़ी आखों की उम्मीदेंकिसी युवा की ख्वाइशें ।क्या क्या नही ले गया।कहने को पूरा साल था ,लेकिन करने को कुछ नही किया।छोटे छोटे नन्हे […]

ज़िंदगी की उधेड़बुन

8 फ़रवरी, 2021 संगीता बर्वे 0

ज़िंदगी की सलाइयो मेंउनचास फंदे डालेकुछ उलटे बुने कुछ सीधेकई बिना बुने उधेड़ डालेइस उधेड़बुन ने अनजाने हीकईं पेटर्न बना डालेकुछ फंदे एक से दूसरी […]

मेरा मन

मेरा मन बहुत ही छोटा शब्दलेकिन उड़ान लिए ,बचपन से किशोरावस्था तकगुड़ियों के खेल से घर गृहस्थी तक चलता ही रहता ।कभी मन की होती […]

बाल

बाल मजदूरी

मन चंचल मन बावरा मनसमझ ना पाएखेलने की उम्र में बालक बोझ ढोतानजर आएयह कैसी मजबूरी बचपन हाथों सेनिकला जाएकर में किताब की जगह बोझ […]

जीवन (जी-वन)

8 फ़रवरी, 2021 वाणी गुप्ता 2

हमारा जीवन उस वन की तरह है।जिसमे सब कुछ है हरा-भरालेकिन फिर भी है सुनसान और अकेला ||जिसके एक पल चमकती धूप,तो अगले पल घना […]

समर्पण

नारी। जीवन का मंत्र है समर्पणजिसने स्वयं का सर्व स्व किया अपर्णहर भाव है निश्छल आया न किया न कभी छलत्याग की मूर्ति सेवा में […]

मैं किसे बताऊं

मैं किसे बताऊं

8 फ़रवरी, 2021 पूर्वा शुक्ला 0

सबकी परेशानियों को सुन लूंपर अपनी परेशानी किसे सुनाऊं सबके दर्द की दवा बताऊंपर अपना दर्द मैं किसे दिखाऊं सबके होठों पर मुस्कुराहट लाऊंपर मेरी […]

बसंत

मेरे शहर बसंत आयालहराता मुस्कुरा कर आया पिय से मिलने की सौगात लाया देखकर एक दुजे की हंसी हुई मंदउर में भरी सुंदर स्पद प्रिय […]

वर्ण पिरामिड – शमा, पतंग

विषय: शमा येशमाजलकेदिखाएगीगम के तममे डूबे इंसानको राह बताएगी विषय: पतंग मॉसखासंग मेपतंग लेखूले आसमातले यू उडाउनव वर्ष मनाऊं Photo by Abhishek Upadhyay on Unsplash

बेटी और माँ क्षणिका

क्षणिका – बेटी और माँ

8 फ़रवरी, 2021 ममता कानुनगो 0

बेटी जीवन प्रभा है वो,अंतर्मन की कथा,मर्यादा त्याग समर्पण,बेटी स्नेह बंधन। मां प्यार स्पंदन,महकता चंदन,पवित्र शीतल मन,सलिल सरिता सी,मां तुम अनुपम। Photo by Raghavendra V. […]

बसंत

बसंत

8 फ़रवरी, 2021 सुभाष शर्मा 0

खिल उठी सूर्य किरण,लाली लेकर जागी भोर।बागिया में बोले पपिहा,अमराई में नाच उठे मोर। ओढ़ के दुशाला बासंती,पवन चली लेकर मस्ती।महक उठा जग ये सारा,फूल […]

bachpan

बचपन की यादें

8 फ़रवरी, 2021 पूर्वा शुक्ला 0

खेत के खलियानों के बीच बचपन बितानाछोटी-छोटी खुशियों से जीवन को सजानामाँ की गोद मे ज़न्नत मिल जानाबाबा के प्यार और दुलार से गमों को […]

स्वेटर में बच्चे

बाल गोपाल, करते धमालसुंदर से, न्यारे से, लाल स्वेटर में बच्चेजैसे कोई खिलता हुआ गुलाब,इतना लाजवाबकि कोई सुंदर ख्वाबहमारी आंखों के सामने…लगता है नाचने..बच्चों की […]

प्रार्थना

रक्षा-प्रार्थना

क्या अर्वाचीन और क्या प्राचीनक्या उत्तर और क्या दक्षिणक्या शासक और क्या आधीनक्या नगरीय और क्या ग्रामीणहर क्षण होता प्रकाश क्षीण॥ हाहाकार बढ़ता हर दिनदेव […]

दुल्हन

दुल्हन – ओढ़ के लाल चुनरिया

ओढ़ के लाल चुनरियाचली दुल्हन ससुरालमाथे पर बिंदिया चमकेहाथ चूड़ियां खनके लालओढ़ के लाल चुनरिया मेहंदी का रंग लिए हाथ मेंकजरारी आंखें मे संजोए सपनेछोड़ […]

खुद के भरोसे

भरोसा

7 फ़रवरी, 2021 अनिता शुक्ला 0

चल पड़े थे सुनसान राहों पर ,जहां अंधेरों ने ही घेरा थाउजियारे की कोई उम्मीद न थीएक भरोसा खुद पर थाउसी भरोसे के सहारे चले […]

बिटिया चली ससुराल

करके श्रृंगार बिटिया चली ससुराल

करके सोलह श्रृंगार मेरीबिटिया चली है ससुरालवह नन्हीं सी कली अबफूल बन गई मेरी बगियाछोड़ अपने चमन को चली जहां भी जाएगी अपनीमहक से सबका […]

तुम बिन माँ

माँ

4 फ़रवरी, 2021 सुधा केशरे 0

माँतुम बिनकौन कहेगा अबआजा बेटीमायके कौनजोहे बाटद्वार पर रखेंनयन प्यारभरें कौनपूछे अबसकुशल हो नाअपने घरसपरिवार कौनदे आशीषभरे मेरी झोलीरखे हाथमस्तक माँतुम बिनसुने लगे सारेतीज त्यौहारसंसार […]

प्रकृति

प्रकृति

4 फ़रवरी, 2021 मेधा जोशी 0

फूलों को खिलखिलाता देख,मन मेरा मुस्काया, देख सरित प्रवाह,सुकुन मैंने पाया, ये फुहारें सावन की,जैसे बूंदों की पायल, मन मयूर नाच रहा,अरुष प्रभात जाग रहा, […]

सपनों की उड़ान

उड़ान सपनों की

ख़्वाबों के परिंदों, चल पड़ो उस डगरजहाँ मयस्सर हो तुम्हारे सपनों का सफ़र वहशत न रखना की रास्ता पथरीला हैं,चलना शुरू करो तो हर सफ़र […]

याद सताती है

एहसास

समंदर की लहरें जब भीमुझसे टकराती है ,तब तब मुझे तेरीयाद सताती है । लहराती हवा जबमहसूस करता हूँ मैं ,तू झूमती हुईनज़र आती है […]

आज कुछ अलग हो

आज कुछ अलग हो

3 फ़रवरी, 2021 सुषमा चौरे 0

आज कोई काम हाथ में मत लो। बरामदे में रखी कुर्सी पर बैठो, और लकड़ी की मेज़ पर पैर फैला लो,और तब तक बैठो जब […]

कुमकुम

सुरक्षा कवच

3 फ़रवरी, 2021 सुषमा चौरे 0

सुधा की आज वापसी थी ,15 दिन मायके में कब बीत गए पता ही नहीं चला।भाभी ने हल्दी कुमकुम लगा कर विदा किया ,टैक्सी में […]

नन्ही कली

नन्हीं कली

चमन की कली अब फूलबन गुलशन को महकाएगीदो घरों की आबरू लेजीवन के पथ चलकरमंजिल तय कर जाएगीमुश्किल कितने भी आ जाएअपने पग ना डगमगाएगीशूल […]

समन्दर

समन्दर और महामारी

3 फ़रवरी, 2021 सुषमा चौरे 0

रात भर लहरों ने ,सिर पटक पटक कर,किनारे की रेत को धो दिया,समतल कर दिया किनारा,आभास ही नहीं होता,कोई गुजरा हो रात वहाँ से,दूर तलक […]

महात्मा गाँधी

महात्मा गांधी

3 फ़रवरी, 2021 पूजा करे 0

विधा: सायली खादीकी चादरआँखों पर ऐनकहाथों मेंलाठी बनाकरपहचान अपनीसत्य, अहिंसा केथे कट्टरपूजारी बंदरथे तीनबुरा मत कहोना देखो ,सुनो शरीरसे कृशकायपर थे बलवानपक्के इरादोंके देखेआँखों नेसपने […]

तिरंगा देश की शान बढ़ाये

तिरंगा देश की शान बढ़ाये

मेरा लहर लहर लहराएतिरंगा लहर लहर लहराएये अनुपम शोभा बढ़ाएतिरंगा देश की शान बढ़ाएहरा रंग है हरियाली काहार नहीं ये मानेदुत्कार नहीं ना तानेये हर […]

गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस

आज देश की मिट्टी का तिलककिया जाएहर घर तिरंगा लिए गणतंत्र दिवसमनाया जाएकितने वीरों के बलिदानों के बाद यहघड़ी आई हैसंविधान अपना बने कुर्बानियां देकरजन्नत […]

welcome

स्वागतम नव-वर्ष

12 जनवरी, 2021 प्रभा शुक्ला 1

तुम्हारा स्वागतम तुम दशक तीसरे का हो पहला कदम।स्वागतम नववर्ष तुम्हारास्वागतम।स्वागतम नववर्ष…. उम्मीदों के लग गये तोरण यहाँ, झालरें आशाओं की है सज गई। स्वागतम […]

स्वान्तः सुखाय

आँखों के संमदर में सुनहराअतीत डूब गयासाथ ही खो गएअनमोल रत्न –गिलहरी-सा बचपनमाँ का आँचलबाबूल का लाड़बहन का प्यारभाई का दुलारखो गई सखियाँ सारीसूने हो […]

बहादुर लाल वो

बहादुर लाल वो

6 जनवरी, 2021 विभा भटोरे 1

11 जनवरी लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन। विधा -मनहरण घनाक्षरी लाडला बेटा था नन्हेहटा पिता का साया तो,तैरकर शाला जावे,बहादुर […]

वक्त

वक्त का पहिया सदियों से घूमता जा रहाठहरता ही नहीं चक्र चलता जा रहा थम गया तो प्रलय आ जाएगा इंसान काजहां से नामो निशान […]

सूरज दादा

6 जनवरी, 2021 प्रभा शुक्ला 0

कोजागिरी का दिन आया।गहमा-गहमी लगी हुई थी।। सभी शाम की बाट जोहते।नर-नारी सब चहक रहे थे।। सूरज दादा समझ ना पाये।किसकी राह निहार रहे सब।। […]

नव वर्ष

नव वर्ष

6 जनवरी, 2021 ममता कानुनगो 0

नवीन वर्ष का नव प्रभात आज छा रहा,आशाओं का प्रकाश फिर धरा पर बिखरा रहा,उत्साह है, उमंग है आनंद की तरंग है,स्वतंत्र राग फिर नया […]

नयी सुबह

नयी सुबह

स्वप्न सा लगता है मुझको,वो अच्छे दिनों का आना। खोलते ही रीत जाता है,खुशियों का हर खजाना। विपत्तियाँ मुँह बाये खड़ी है,जीवंतता अब एक कसौटी […]

बदलाव

बदलाव

6 जनवरी, 2021 शांता गीते 0

वर्ष बदल गया , कैलेंडर बदल गया लेकिन क्या नहीं बदला? देखिए मेरी कविता “बदलाव” में कैलेंडर बदल जाता है दीवार वही रहती है साल […]

बेटियां

6 जनवरी, 2021 जागृति डोंगरे 2

ईश्वर प्रदत्त अनुपम उपहारहै बेटियां।माता-पिता के दिल का अरमानहै बेटियां।घर-आंगन की रौनक बढ़ातीहै बेटियां।मां का साया, पिता का दुलारहै बेटियां।हरसिंगार सी घर-आंगन महकातीहै बेटियां।दर्द सहती […]

आईना

6 जनवरी, 2021 जागृति डोंगरे 1

आज सोचा उससे कुछ बातेंकर लूं खासमैं गई उसके पासउस पर जमीं धूल की गर्तकरने लगी साफपरत हटते ही वह मुस्कायाकितने दशक बाद मैं याद […]

ganges

निर्झरणी

4 जनवरी, 2021 जागृति डोंगरे 1

उतुंग पर्वत शिखरों से हो प्रस्फुटितउज्जवल जल धार बनकर धरा पर आती हैबूंद,बूंद कर संग्रहित निर्झरणी वो बन जाती है । कहीं उन्मुक्त नव यौवना […]

जिद एक बेटी की

4 जनवरी, 2021 सुषमा चौरे 0

एक छोटी सी बच्ची थी,जिद करती थी खिलौने की, जिद्द थी नई किताब की।जिद कभी जूते चप्पल की,जिद थी नए कपड़ों की।जिद कभी हलवे की, […]

शिशिर ऋतु

शिशिर ऋतु

शिशिर ऋतु जब आई,प्रकृति की छटा निराली। पत्तों पर शबनम की बूंदे,मैदानों में धुन्ध है छाई। गिरी पर है हिम की चादर,थम गया नदियों का […]

mandala

आत्म मंथन

अहं स्वयं का टूटने दोअंतर्रुदन फूटने दोआप ही तब होगा रचितमहाकाव्य उद्घाटित। जीवन की सारी आशाएंटूटे तो टूटने दोऔर मन के कोध काश्वास घुटे तो […]

प्यार की खुशबू

3 जनवरी, 2021 विभा भटोरे 0

छलका है मन उल्लसित,प्रफुल्लित जीवन है बहता,बढ़ते रहें कल कल नदी से,देना सीखें हम नदी से-आओ बिखेरें प्यार की खुशबू। छोड़ के तेरा और मेरा,क्षणिक […]

indian bride

बिटिया चली ससुराल

3 जनवरी, 2021 पूजा करे 0

हमें रोता छोडकर देखो, बिटिया चली ससुराल ।क्षण मे गुजर गये ये साल ,बिटिया चली ससुराल । हृदय से तुझे दूँ कैसे निकाल ,बिटिया चली […]

2020

सन् 2020 –2021 तेरे स्वागत में हमनें बाहें फैलाई मेहमान ही रहा तू अपना ना बना तू गिना जाता है सम संख्या में पर कितनों […]

मैं नारी

25 दिसम्बर, 2020 राजश्री सिकरवार 0

मैं नारी…… मै नारी नदी सी मेरे दो किनारे।एक किनारे ससुराल, दूजी ओर मायकादोनों मेरे अपने फिर भी अलग दोनों का जायका। एक तरफ मां […]

विधाता की लीला अपरंपार

विधाता

25 दिसम्बर, 2020 सरिता अजय साकल्ले 0

विधाता की लीला अपरंपार है कहीं खुशियांतो कई गम हजार हैं कहीं सूर्य की रोशनी तो कई घोरअंधकार है कहीं जन सैलाब का मेला तो […]

मोरे कान्हा

हे मुरलीधर मोरे कान्हामैं नित तोरा ध्यान धरुंहर दिन तोहरी राह निहारुंअब पधारो मोरे द्वार प्रभु ना करती मैं कोई शिकायतना कुछ तुझसे मांगतीमैं देखूं […]

प्रलय होगा महाभयंकर

प्रलय

25 दिसम्बर, 2020 अंशुमान सिंह ठाकुर 0

प्रलय सूक्ति जब भय में व्याप्त होगा संसारऔर नहीं होगा उद्धारजब रचनाएँ देवताओं की मिटेंगीऔर चिताएँ मनुष्यों की उठेंगी तब प्रलय होगा महाभयंकरकांपेगा हर पत्थर-पत्थर,होगा […]

स्वरग नरक

स्वर्ग नरक

25 दिसम्बर, 2020 वीणा मंडलोई 1

—- स्वरग नरक —- सही गलत के शोर में मन जो लिया उलझाय ,कैसे हरि को पाएगा , गुरू बिन कौन बताय ।। स्वरग नरक […]

क्योंकि गीता का सार

क्योंकि

25 दिसम्बर, 2020 विनीता बर्वे 0

कविता: क्योंकि गीता का सार ही है जीवन का आधार क्योंकि ;गीता का सार ही है जीवन का आधार… पूर्ण भक्तवत्सल है वो ,जिसने सुनी […]