कथांजलि में आप हिंदी कहानियाँ , लघुकथा , एकांकी , नाटक इत्यादि पढ़ सकते हैं | शब्दबोध नए हिंदी लेखकों के लिए मंच है , नयी कहानियाँ पढ़कर उन्हें प्रोत्साहित करें।

कथांजलि में आप हिंदी कहानियाँ , लघुकथा , एकांकी , नाटक इत्यादि पढ़ सकते हैं | शब्दबोध नए हिंदी लेखकों के लिए मंच है , नयी कहानियाँ पढ़कर उन्हें प्रोत्साहित करें।
—- सम्मान की भूख —- मणिकांत बाबू सीधे सरल प्राणी थे, घर में गाय जैसी पत्नी, जिसका घर के काम और पूजा पाठ में ही […]
शीर्षक: अपने अपने भगवान अंग्रेजी भाषा के शिक्षक दुबे जी का एक बड़ा सपना था कि रिटायरमेंट के बाद दोनों बहनों के परिवार के साथ […]
शीर्षक : कूकर की सीटी “दादी ! आज आप बहुत गुस्से में हैं ?” आठ साल का चिंटू दादी का मुँह देखते-देखते कह रहा था […]
शीर्षक: घर में ही जंगल पुश्तैनी दीवान ने अपने नज़दीकी सोफे से पूछा- “यह सब क्या हो रहा है? मैं तो बरसों से इसी जगह […]
शीर्षक-ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत वो उदास थी मैने पूछा , “अरी! आज तू चहक नहीं रही तो ,मेरा भी मन नहीं लग रहा रसोई […]
मुनिया हैरान है ! मॉं और नानी गेहूँ छान रही हैं, साफ करने के बाद पिसवाएंगे। उन्होंने थैला भर दिया, नानाजी बिखरे कुछ दाने बीन […]
कुछ दिनों से रोज एक अधेड़ व्यक्ति अपने साथ एक झोला लेकर गाँव में घूमता था। पुलिस की गाड़ी का हॉर्न सुनकर अच्छे अच्छे दुम […]
शीर्षक-दादी की कहावत दादी हमेशा कहती थी। नक्टो चपटो बेटो कचहरी जाइ न बठ्यो।श्माम सुन्दर बेटी चूलो जाइ ख फूक्यो। दादी को अपने लाड़ले पोते […]
“बिट्टू, थोड़ा ध्यान से, तेज गति से नहीं दौड़ना और सोसायटी के अंदर ही खेलना बाहर तो बिल्कुल नहीं निकलना। “गौरी, बिट्टू का पूरा ध्यान […]
महाविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर और हम सबके आदर्श ! उनके जीवन में दो ही काम महत्वपूर्ण थे एक विद्यार्थियों की समस्याओं को सुलझाना और दूसरा […]
शीर्षक: चरित्रहीन “मैडमजी आप मेरा साथ दोगे ना”? “आप तो कुछ भी नहीं बोल रहे हो मैडमजी”? छुटकी की माँ ने मानसी मैडम को बार […]
पिछले एक वर्ष से वर्क फ्रॉम होम के चलते मैं घर से ही काम कर रहा था। एक दिन मुझे हल्का बुखार आया शाम तक […]
शीर्षक: जिम्मेदारी कितनी बार कहा तुमसे मेरी चीजों को व्यवस्थित रखा करो कभी भी जगह पर नही मिलती है| भनभनाते हुए भावेश ने कमरे का […]
आज सुबह से ही बेला अनमनी सी थी । कल ही बिटिया राशि का ऑनलाइन बैंक का इंटरव्यू था, जिसमें उसे प्रथम प्रयास में ही […]
नन्ही सी वैष्णवी आज अत्यंत खुश थी। नवरात्रि का अंतिम दिन , उसे कन्या भोजन करने जो जाना था। सुबह ही मम्मी ने नहला दिया, […]
सारी रात बेनीप्रसाद जी सो नही पाए , पिछले पाँच वर्षों से उनकी रातें बेचैनी में ही कटती थी| किन्तु हर होली की पहली रात […]
जानवी जो एक छोटे से कस्बे में रहती थी। जिसे कला में बहुत रुचि थी। वह घर पर पड़े फालतू की वस्तुओं से कुछ भी […]
शीर्षक: कुल्हाड़ी का शोरबा सन्ध्या शर्मा मण्डलेश्वर मैं भी अपने बचपन की एक कहानी सुनाती हूँ | एक बार एक शिकारी शिकार करते हुए बहुत […]
शीर्षक: कष्ट ‘अब आप कुछ दिन यहीं रहिए! हर बार का बहाना की अगली बार रहने के लिए आऊँगा इस बार नहीं चलेगा !’ बहुत […]
शीर्षक: हाथी से दाँत आज बाजार में सब्जी खरीदते समय मेरी कॉलेज की सहेली सुदर्शना मिल गई। इतने सालों के बाद एक दूसरे को देख […]
शीर्षक: जीवन या मृत्यु कल रात से माँ से वीडियो कॉल पर बात की तभी से मन द्रवित है, साहिल व उसकी पत्नी स्वाति और […]
“मेडम जी , आज तो आपका करवाचौथ का उपवास होगा | वैसे….., कुछ सोचकर, मेडम जी , एक बात पूछूँ? आपको मैंने इतने साल से […]
शीर्षक: आंखें या दिल ८ वर्षीय किशन आज बहुत खुश है, आज वो अपनी नई आंखों से अपनी नई मां को देखने वाला है। बस […]
शीर्षक: सूक्ष्म लघुकथा भाग एक १. सबक तीन तारीख को महरी का हिसाब करती हुई मालकिन बोली- “रामरती तूने पिछले महीने दो दिन बिना बताए […]
शीर्षक : भूख का तांडव काय! वह मैडमजी कौन थी। कितनी अच्छी थी ना। हां झमरु पर ये नहीं पता कैसी थी। हम सबको चलने […]
सुहासिनी को जब से पता चला है कि उसे साहित्य जगत का सर्वोच्च सम्मान मिलने वाला है । तब से ही वह खुशी के मारे फूली न समा रही थी आखिर दोगुनी खुशी जो मिली है एक तो उसका नाम, दूसरा उसके ‘राइट नंबर’ का नाम भी था उस सूची में था।
रम्या ने अपने चेहरे को मास्क एवं स्कार्फ से ढक लिया था। रेलवे प्लेटफार्म पर बैठे हुए उसे लगभग दो घंटे हो चुके थे। उसकी […]
आज होली है। दिनेश को सुबह से ही रजनी की याद आ रही है। साल भर हो गया, घर छोड़कर गये हुये। ना ही कोई […]
नीतू सुबह उठी तो बहुत खुश थी। आज ससुराल में उसका पहला जन्मदिन था। उसने भगवान के हाथ जोड़कर अपने सास-ससुर के चरण-वंदन किये और […]
एक बूढ़ी अम्मा थी जो व्रत नियम और उपवास करती थी| एक दिन उसके मन में आया कि क्यों न मैं आज ब्राह्मण ब्राह्मण को […]
हमेशा की तरह सड़क पर वाहनों की आवाजाही बहुत थी। छोटा-सा बच्चा अपनी छोटी सी साइकिल चला रहा था। उसे बड़े होने का एहसास और […]
इन दिनों बहार का मौसम है,,नही समझे आप लोग अरे कॅरोना की बहार है,,,यूँ तो बहार का मौसम आता है और अपने निश्चित समय मे […]
एक चुहिया थी वह शादी करना चाहती थी पर मनपसंद दूल्हा नहीं मिल रहा था । उसने सोचा चलो अपन ही दूल्हा खोजने चले वह […]
आशा अपनी दोनो बेटियों के खेल रही थी। तभी शर्मा आंटी आई और तिरछी मुस्कान के साथ बोली “खूब मस्ती हो रही है बेटियों के […]
गांव में बच्चों को रोज स्कूल जाते देख किसन बहुत मायूस हो जाता। उसका भी मन करता वह भी इन बच्चों के साथ स्कूल जाए […]
एक छोटे से गांव के बाहर एक पहाड़ी थी और उसके आसपास खाली जमीन भी थी।उसी गांव में एक कलाकार रहता था।उसकी कला बहुत ही […]
उस श्रेष्ठी वर्ग के शांत कॉलोनी में आज और अधिक सन्नाटा था।प्रोफेसर साहब के बंगले के बाहर लोग ग्रुप बनाकर खड़े थे, फुसफुसाहट की आवाज […]
दयालु राजा एक राजा था। उसका नाम राजा हेनरी था। उसका बहुत विशाल राज्य था।तभी दूसरे राज्य के राजा ने राजा हेनरी के राज्य पर […]
मैंने सुना कुछ बड़बड़ा रही थी सासू माँ,जीव हांडी म रह्यज।पूरा नहीं सुन पाई।डरते हुए मैंने पूछा —क्या हुआ मम्मीजी?आपने कुछ कहा?हाँ!!!लांडी को जीव हांडी […]
दामोदर इस बार लम्बी छुट्टी मिली है ,कब जा रहा है घर ? नहीं अन्ना इस बार नहीं जाना, हमारे जाते ही सरहद पर दुश्मनों […]
आज मैं बहुत खुश थी। अखबार में आज कोई बलात्कार का लेख नहीं छपा था । मन को संतुष्टि मिली। नहीं —–तो आए दिन तीन […]
सड़क पर उछलते-कूदते दो भाई बहन हाथों मे हाथ डाले चले जा रहे थे।भाई के पाँवों मे चप्पल और बहन नंगे पाँव। सड़क की बजरी […]
रोहित की स्टेट बैंक भोपाल में नौकरी थी, वहीं की सहकर्मी सलोनी रोहित को बहुत पसंद थी। साथ-साथ काम करते-करते दोनों एक दूसरे के बहुत […]
मेरी महरी नीलू अक्सर अपनी नन्हीं बेटी बेला को साथ ले आती थी। मैं बेला को बहुत कुछ खाने, पीने को दे देती, अपने बच्चों […]
पात्र परिचय दृश्य: रमेश और उसकी पत्नी अर्चना बैठक में बैठे हैं।मां के निधन के बाद सोच रहे हैं कि किस तरह हिस्से बंटवारे की […]
घर की सफ़ाई करते हुए सोचने लगी, अरे ये क्या? इस घर की धूल भी मुझसे कितना प्यार करती है।रोज रोज मेरे द्वारा झाड़ने के […]
नन्ही सी वह बिन मां की बच्ची जब दूसरे बच्चों को अपनी, अपनी मां के साथ लाड़-प्यार और हट करते देखती तो, सोचती कि मेरी […]
उसे तो शाम का इंतजार था कि कब शाम हो और वह भी बाहर घूमनें जाये अपने दादाजी के साथ। दिन भर वह दादी के […]
रश्मि का छोटा सा परिवार,सास,ससुर, एक बारह साल का बेटा,पति रोहन और वह खुद। कुल मिलाकर पांच जने। मध्यम परिवार से आई थी, कोई बड़े […]
रेवती के बापू ने अपने समाज की प्रथा के अनुरूप, यह निर्णय लिया था, कि बेटी की शादी के बदले में पच्चीस हजार रुपये लूंगा। […]
“अरे सुनो ! भागवान परसो हमें मौसी के यहाँ शादी में चलना है। शादी की पत्रिका पहले ही आ चुकी है , आज फोन भी […]
Copyright © 2023 | WordPress Theme by MH Themes