
एक खुली चिट्ठी – ” ऊपर वाले ” के नाम
एक खुली चिट्ठी – ” ऊपर वाले ” के नाम (अब यहाँ यीशु या ईश्वर या अल्लाह या और कुछ इसलिए नहीं लिखा क्योंकि ये […]
एक खुली चिट्ठी – ” ऊपर वाले ” के नाम (अब यहाँ यीशु या ईश्वर या अल्लाह या और कुछ इसलिए नहीं लिखा क्योंकि ये […]
महामारी के दौर में जब चिकित्सा जगत में चारों और लुट मची है । अस्पताल वाले और डाक्टर खूब चाँदी काट रहे है ।मुझे याद […]
शीर्षक: पुराना घर एक साधारण से कस्बे में एक घर था जिसमे रूठी, मनाई, और लाल, हरे ,पीले, नीले, रहते थे । उस घर की […]
शीर्षक: लहलहाता मानव समाज दो दिन पूर्व हम खण्डवा के करीब ब्रह्मगिर जहाँ गुरु गादी स्थल है । वहाँ गये। रास्ते मे बहोत ही सुंदर […]
अंग्रेजी की शिक्षिका, एक सामान्य महिला, दिखने में तो उनका कद सामान्य था, रंग गेहुँआ। वे प्रतिदिन स्कूल आती थी। हा . से. कक्षाओं में […]
बहुत ही पुरानी बात है करीब 40-50 साल पुरानी वैसे तो मेरे दादा जी बहुत ही सरल स्वभाव के थे| हंसमुख व प्रसन्न चित रहने […]
शीर्षक: वैधव्य की पीड़ा आज मुझे मेरी प्रिय सखी शीला बाजार में मिल गई थी, हम दोनों का एक ही शहर में विवाह हुआ था| […]
शीर्षक: धीरे धीरे रे मना आज मैंने धीरे-धीरे सूरज उगते हुए देखा आज मैं बहुत जल्दी उठ गई। बहुत जल्दी माने 4:00 बजने को 10:00 […]
मैंने प्रोफेसर बनने का सपना साकार करने के लिए सारे मापदंड तय कर लिये थे। मेरठ शहर के एक बडे कॉलेज के लिए आवदेन भी […]
मेरे पांच साल के बेटे को खाना खिलाते हुए । मैंने ऐसे ही पुछ लिया, की बेटा जब मैं बूढ़ी हो जाऊँगी ,जब मेरे हाथ […]
बांसुरी बेचने वाला बांसुरी बजाता हुआ सड़क पर चला जा रहा था। उसकी बांसुरी में इतनी अच्छी धुन निकल रही थी। मानो हमारा मन ही […]
होली रंग बिरंगे तन मन का मन को उल्लसित करता हुआ त्यौहार ,सब ओर फ़ागुन का मद भरा रसीला वातावरण हवा में अलग ही खुनकी […]
होली का डांडा या नेतृत्व की छड़ी निमाड़ क्षेत्र के त्यौहार अपने आप मे एक विशेषता लिए होते है । और कोई भी त्यौहार हो […]
क्यों नेहा तूने उस दिन मीनू से बात नही की वह मुझे बोल रही थी।बुआ मिलते से मुझसे मेरी ही शिकायत करने लगी । मीनू […]
निबंध: मेरे गाँव का वो बूढ़ा बरगद …… मेरा गाँव, ये शब्द ही अंतरमन को कुछ ऐसी मिठास से भरी हुई यादों में ले जाते […]
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