भीख

भीख

21 दिसम्बर, 2022 कमला नरवरिया 0

अमिता जब भी किसी को भीख मांगती देखती तो उसका हृदय द्रवित हो उठता और वह उन्हें कुछ रुपये पैसे देकर उनकी मदद कर देती […]

एलबम

एलबम

—- पुराना एलबम —- “क्या हुआ दामाद जी नीरजा कैसी है” , रोहिणी ने रोते हुए सिद्धार्थ से पूछा। “मम्मी- पापा आप बैठिए, नीरजा ठीक […]

सम्मान की भूख

सम्मान की भूख

25 फ़रवरी, 2022 विभा भटोरे 0

—- सम्मान की भूख —- मणिकांत बाबू सीधे सरल प्राणी थे, घर में गाय जैसी पत्नी, जिसका घर के काम और पूजा पाठ में ही […]

समय की लिखावट

समय की ही लिखावट

25 फ़रवरी, 2022 दामिनी पगारे 0

—- समय की लिखावट —- क्यों अपने समकक्ष मानते हो मुझे?क्यों मुझसे ईर्ष्या रखते हो? मैं नही हूँ बेहतर दिखने की किसी दौड़ में शामिलना […]

काश तुम समझ पाते

काश तुम समझ पाते

काश तुम समझ पातेमेरे मन में छिपी सवेंदनाओं को,आँसुओं के उमड़ते सैलाब कोजो तुम्हारी याद में निकले। काश तुम देख पातेमेरे सुनहले ख़्वाबों का संसार,जो […]

मुझे मेरा गाँव याद आता है

मुझे मेरा वो गाँव याद आता है

मुझे मेरा वो गाँव याद आता है .. बरगद की छाँव मेंबैठ के भुट्टे खाना,संग दोस्तों के वहाँ घंटों भर बतियाना,नहीं भुलाये भूलतावो गुजरा जमाना , […]

क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस

हिन्दी का मान

15 सितम्बर, 2021 सुभाष शर्मा 0

ये बात है मेरे देश के सम्मान की।ये बात है मेरे मान अभिमान की।हिन्दुस्तान की धरती है मेरी माता,बात करूंगा मैं हिन्दी के मान की। […]

क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस

हिंदी और तोर मोर

15 सितम्बर, 2021 माया कौल 0

तोर मोर कछु जान न पाएमाझा तुझा भी ना पहचाने हम सबको अपनाते रहतेबहु भाषी पर हिन्द के है हम काये लला कित जाय रहे […]

क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस

हिंदी दिवस का इतिहास और महत्व

14 सितम्बर, 2021 bodhi 0

सभी पाठकों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ! देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप हिंदी को अपनाने के उपलक्ष्य में भारत हर […]

एल्बम

एल्बम

दिवाली की साफ़-सफाई में एल्बम के ढेर को व्यवस्थित करते-करते, नीता का मन अकस्मात् तस्वीरों को देखने के लिए मचल उठा ज्यों-ज्यों तस्वीरों पलट-पलट कर […]

चारपाई

चारपाई

चारपाई का नाम सुनते ही हमें फिल्मी गीत याद आ जाते है… सरकाई ले खटिया जाड़ा लगे… या धीरे से जाना खटियन में ओ, खटमल […]

अपनेपन का ढोंग

ढोंग

2 अगस्त, 2021 मंजुला दुबे 1

शीर्षक: अपनेपन का ढोंग जब प्राण पखेरु उड़ गया,तब तुमने एक दिया जलाया।जीवन भर दुःख का अंधेरा दिया,अब इस उजाले का ढोंग किया।। ‌‌जब प्राण […]

शिव गौरा

शिव गौरा

2 अगस्त, 2021 रश्मि मोयदे 0

शिव गौरा बाबा महाकाल की इस नगरी से,वरदान मिले मुझे भोले बाबा से धरा सी धैर्यवान बन जाऊऔर सरल सहज बन मुसकाऊ देख कर आकाश […]

प्रकृति नारी के रूपों सी

प्रकृति नारी के रूपों सी नजर आती है..

2 अगस्त, 2021 स्वाति जोशी 1

प्रकृति नारी के रूपों सी नजर आती है जीवन के आरंभ से ही,नन्ही कली सी मुस्कुराती है।नन्ही सी प्यारी गुड़िया बन,अल्हड़, चंचल सी बहती जाती […]

मेरे देश

मेरा देश

2 अगस्त, 2021 माया कौल 0

मेरे देश ,,,, तुम कितनी मत भिन्नताओं में जीते हो, मेरे देश,,,, तुम कितनों के धर्मों के संबल हो, मेरे देश,,,, तुम कितने दंगाईयों को […]

शब्द में ही

शब्द

2 अगस्त, 2021 डॉ. आशा शरण 0

शब्द में ही ओंकार का वास हैहर शब्द में उस ईश्वर का वास हैमंदिर में गुंजित मंत्रों की पावन तान हैशब्द में ही बसती गुरु […]

दादी की कहावत

दादी की कहावत

1 अगस्त, 2021 रश्मि मोयदे 0

शीर्षक-दादी की कहावत दादी हमेशा कहती थी। नक्टो चपटो बेटो कचहरी जाइ न बठ्यो।श्माम सुन्दर बेटी चूलो जाइ ख फूक्यो। दादी को अपने लाड़ले पोते […]

साहसी

बुजुर्गों की सीख

7 जुलाई, 2021 रश्मि मोयदे 0

“बिट्टू, थोड़ा ध्यान से, तेज गति से नहीं दौड़ना और सोसायटी के अंदर ही खेलना बाहर तो बिल्कुल नहीं निकलना। “गौरी, बिट्टू का पूरा ध्यान […]

मैं झरना हूँ

झरना

3 जुलाई, 2021 अनिता शुक्ला 0

नित बहना मेरा कामरोके से ना रूकना हैबहते ही हमेशा रहना हैमैं झरना हूँ राहें हों उँची नीचीया राहें हों टेढ़ीमुझको तो उन्हेंपार करके जाना […]

कन्या भोजन

कन्या पूजन

नन्ही सी वैष्णवी आज अत्यंत खुश थी। नवरात्रि का अंतिम दिन , उसे कन्या भोजन करने जो जाना था। सुबह ही मम्मी ने नहला दिया, […]

जल ही जीवन

जल ही जीवन है

प्रकृति प्रदत्त संसाधनों में जल एक अमृत तुल्य स्त्रोत हैं। कोई भी मनुष्य, पशु-पक्षी, जीव-जन्तु, पेड़-पौधें आदि को जीवित रहने के लिए जल परम आवश्यक […]

हिंदी लेख लिखने के सुझाव

लेख लिखने के सुझाव

शीर्षक: हिंदी लेखन शब्दबोध एक डिजिटल पत्रिका है और इसके लेख ज्यादातर मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन पर पढ़े जाते है।आपका लेख, आपके अपने विचारों की […]

राइट नम्बर

15 मार्च, 2021 संगीता सिंह 0

सुहासिनी को जब से पता चला है कि उसे साहित्य जगत का सर्वोच्च सम्मान मिलने वाला है । तब से ही वह खुशी के मारे फूली न समा रही थी आखिर दोगुनी खुशी जो मिली है एक तो उसका नाम, दूसरा उसके ‘राइट नंबर’ का नाम भी था उस सूची में था।

परिणय बंधन

परिणय बंधन

13 मार्च, 2021 डॉ. भावना बर्वे 6

रम्या ने अपने चेहरे को मास्क एवं स्कार्फ से ढक लिया था। रेलवे प्लेटफार्म पर बैठे हुए उसे लगभग दो घंटे हो चुके थे। उसकी […]

नारी शक्ति का रूप

क्या नारी, शक्ति का रूप है?

12 मार्च, 2021 डॉ. भावना बर्वे 1

नर और नारी को शिव-शक्ति का रूप माना जाता है, जिसमें नर तो शिव है पर…… नारी? क्या नारी शक्ति का रूप है? उसे आगे बढ़कर एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जिसमें नर नारी एक दूसरे का सम्मान करें।

पिता का डर

डर

4 फ़रवरी, 2021 सुषमा चौरे 0

“ये क्या किया शंकर तुमने, मकान बेचकर तीस लाख बेटे के हाथ में रख दिए! इतना भरोसा ठीक नहीं औलाद पे ।” दोस्तो की बातें […]

वात्सल्य

वात्सल्य

4 फ़रवरी, 2021 ममता कानुनगो 0

“मनु ये क्या कर रही है, क्यों आंगन में चावल बिखरा रही है” – नानी ने कहा। मनु बोली- “नानी पेड़ पर चिड़िया के छोटे-छोटे […]

तुम बिन माँ

माँ

4 फ़रवरी, 2021 सुधा केशरे 0

माँतुम बिनकौन कहेगा अबआजा बेटीमायके कौनजोहे बाटद्वार पर रखेंनयन प्यारभरें कौनपूछे अबसकुशल हो नाअपने घरसपरिवार कौनदे आशीषभरे मेरी झोलीरखे हाथमस्तक माँतुम बिनसुने लगे सारेतीज त्यौहारसंसार […]

संदूक का रहस्य

रहस्य

4 फ़रवरी, 2021 मेधा जोशी 0

एक गांव में एक बुढ़िया अपने बेटे के साथ रहती थी। उसके पास एक संदूक रखा होता था वह कभी उस संदूक को हाथ लगाने […]

सपनों की उड़ान

उड़ान सपनों की

ख़्वाबों के परिंदों, चल पड़ो उस डगरजहाँ मयस्सर हो तुम्हारे सपनों का सफ़र वहशत न रखना की रास्ता पथरीला हैं,चलना शुरू करो तो हर सफ़र […]

बरगद का पेड़

बरगद

4 फ़रवरी, 2021 पूजा करे 1

मैंने ही इन्हें गाँव से बुलाकर मुसीबत मोल ले ली, किस घड़ी में इन्हें दया करके यहाँ ले आई । इन शब्दों को बड़बड़ाते हुए […]

याद सताती है

एहसास

समंदर की लहरें जब भीमुझसे टकराती है ,तब तब मुझे तेरीयाद सताती है । लहराती हवा जबमहसूस करता हूँ मैं ,तू झूमती हुईनज़र आती है […]

आज कुछ अलग हो

आज कुछ अलग हो

3 फ़रवरी, 2021 सुषमा चौरे 0

आज कोई काम हाथ में मत लो। बरामदे में रखी कुर्सी पर बैठो, और लकड़ी की मेज़ पर पैर फैला लो,और तब तक बैठो जब […]

बाबूजी

बाबूजी

“देखों सुमि, बाबूजी का कमरा एकदम साफ सुथरा होना चाहिए, उन्हें सबकुछ व्यवस्थित अच्छा लगता हैं” राहुल लगातार बोले जा रहा था। इतने में सुमि […]

तिरंगा देश की शान बढ़ाये

तिरंगा देश की शान बढ़ाये

मेरा लहर लहर लहराएतिरंगा लहर लहर लहराएये अनुपम शोभा बढ़ाएतिरंगा देश की शान बढ़ाएहरा रंग है हरियाली काहार नहीं ये मानेदुत्कार नहीं ना तानेये हर […]

गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस

आज देश की मिट्टी का तिलककिया जाएहर घर तिरंगा लिए गणतंत्र दिवसमनाया जाएकितने वीरों के बलिदानों के बाद यहघड़ी आई हैसंविधान अपना बने कुर्बानियां देकरजन्नत […]

ऊर्जा का पर्व मकर संक्रांति

हमारी भारतीय संस्कृति में पर्वो का वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत महत्व है | उनमे मकर संक्रांति हिन्दुओं का मुख्य पर्व है | वैसे भारत वर्ष […]

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति – सूर्योपासना का महापर्व

13 जनवरी, 2021 प्रभा शुक्ला 1

मकर संक्रांति हम हिन्दूओं का प्रमुख त्यौहार है।ये पूरे देश में बहुत ही जोश और उल्लास से मनाया जाता है। यह सूर्यदेवता की पूजा, आराधना […]

समझौता

भव्य सरकारी बंगला मेहमानों से भरा था… छोटे फूफाजी एक्टिवा की चाबी मांग रहे थे| उन्हें अपने पुराने मित्रों को गुड्डी के शादी का निमंत्रण […]

बहादुर लाल वो

बहादुर लाल वो

6 जनवरी, 2021 विभा भटोरे 1

11 जनवरी लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन। विधा -मनहरण घनाक्षरी लाडला बेटा था नन्हेहटा पिता का साया तो,तैरकर शाला जावे,बहादुर […]

निकम्मा राजू

निकम्मा

राजू का बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता था। घर में जब भी पढ़ने की बात चलती, एकदम चुप बैठ जाता। डांट पड़ने […]

वक्त

वक्त का पहिया सदियों से घूमता जा रहाठहरता ही नहीं चक्र चलता जा रहा थम गया तो प्रलय आ जाएगा इंसान काजहां से नामो निशान […]

सूरज दादा

6 जनवरी, 2021 प्रभा शुक्ला 0

कोजागिरी का दिन आया।गहमा-गहमी लगी हुई थी।। सभी शाम की बाट जोहते।नर-नारी सब चहक रहे थे।। सूरज दादा समझ ना पाये।किसकी राह निहार रहे सब।। […]

नव वर्ष

नव वर्ष

6 जनवरी, 2021 ममता कानुनगो 0

नवीन वर्ष का नव प्रभात आज छा रहा,आशाओं का प्रकाश फिर धरा पर बिखरा रहा,उत्साह है, उमंग है आनंद की तरंग है,स्वतंत्र राग फिर नया […]

नयी सुबह

नयी सुबह

स्वप्न सा लगता है मुझको,वो अच्छे दिनों का आना। खोलते ही रीत जाता है,खुशियों का हर खजाना। विपत्तियाँ मुँह बाये खड़ी है,जीवंतता अब एक कसौटी […]

बदलाव

बदलाव

6 जनवरी, 2021 शांता गीते 0

वर्ष बदल गया , कैलेंडर बदल गया लेकिन क्या नहीं बदला? देखिए मेरी कविता “बदलाव” में कैलेंडर बदल जाता है दीवार वही रहती है साल […]

स्मृति बिंब

स्मृति-बिंब

6 जनवरी, 2021 सुधा केशरे 0

घर की सफ़ाई करते हुए सोचने लगी, अरे ये क्या? इस घर की धूल भी मुझसे कितना प्यार करती है।रोज रोज मेरे द्वारा झाड़ने के […]

कर्तव्य

4 जनवरी, 2021 सुषमा चौरे 0

ज्योति ने घर के अंदर कदम रखा, अपना बैग बाहर के टेबल पर पटक कर सीधे बाथरूम में घुस गई। नहाकर बाहर आई तो किचेन […]

शिशिर ऋतु

शिशिर ऋतु

शिशिर ऋतु जब आई,प्रकृति की छटा निराली। पत्तों पर शबनम की बूंदे,मैदानों में धुन्ध है छाई। गिरी पर है हिम की चादर,थम गया नदियों का […]

सर्दियों में सजाएँ घर

सर्दियों में कैसे सजाएँ अपना घर

28 दिसम्बर, 2020 अनुषा गावशिन्दे 1

कुछ ऐसे छोटे छोटे सुझाव जो सर्दियों के मौसम में आपके घर को देंगे एक सुंदर, आरामदायक और गर्माहट भरा रूप और साथ ही साथ आपका घर लगेगा त्योहारों और मेहमानों के स्वागत के लिए बिल्कुल तैयार

प्रलय होगा महाभयंकर

प्रलय

25 दिसम्बर, 2020 अंशुमान सिंह ठाकुर 0

प्रलय सूक्ति जब भय में व्याप्त होगा संसारऔर नहीं होगा उद्धारजब रचनाएँ देवताओं की मिटेंगीऔर चिताएँ मनुष्यों की उठेंगी तब प्रलय होगा महाभयंकरकांपेगा हर पत्थर-पत्थर,होगा […]

स्वरग नरक

स्वर्ग नरक

25 दिसम्बर, 2020 वीणा मंडलोई 1

—- स्वरग नरक —- सही गलत के शोर में मन जो लिया उलझाय ,कैसे हरि को पाएगा , गुरू बिन कौन बताय ।। स्वरग नरक […]

एक और सावित्री

एक और सावित्री

25 दिसम्बर, 2020 प्रभा शुक्ला 0

रश्मि का छोटा सा परिवार,सास,ससुर, एक बारह साल का बेटा,पति रोहन और वह खुद। कुल मिलाकर पांच जने। मध्यम परिवार से आई थी, कोई बड़े […]

अकेला-बचपन

अकेला बचपन

25 दिसम्बर, 2020 प्रभा शुक्ला 0

उसे तो शाम का इंतजार था कि कब शाम हो और वह भी बाहर घूमनें जाये अपने दादाजी के साथ। दिन भर वह दादी के […]

क्योंकि गीता का सार

क्योंकि

25 दिसम्बर, 2020 विनीता बर्वे 0

कविता: क्योंकि गीता का सार ही है जीवन का आधार क्योंकि ;गीता का सार ही है जीवन का आधार… पूर्ण भक्तवत्सल है वो ,जिसने सुनी […]

विधाता की लीला अपरंपार

विधाता

25 दिसम्बर, 2020 सरिता अजय साकल्ले 0

विधाता की लीला अपरंपार है कहीं खुशियांतो कई गम हजार हैं कहीं सूर्य की रोशनी तो कई घोरअंधकार है कहीं जन सैलाब का मेला तो […]