
लघुकथा



सम्मान की भूख
—- सम्मान की भूख —- मणिकांत बाबू सीधे सरल प्राणी थे, घर में गाय जैसी पत्नी, जिसका घर के काम और पूजा पाठ में ही […]


अपने-अपने भगवान
शीर्षक: अपने अपने भगवान अंग्रेजी भाषा के शिक्षक दुबे जी का एक बड़ा सपना था कि रिटायरमेंट के बाद दोनों बहनों के परिवार के साथ […]

कूकर की सीटी
शीर्षक : कूकर की सीटी “दादी ! आज आप बहुत गुस्से में हैं ?” आठ साल का चिंटू दादी का मुँह देखते-देखते कह रहा था […]

ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत
शीर्षक-ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत वो उदास थी मैने पूछा , “अरी! आज तू चहक नहीं रही तो ,मेरा भी मन नहीं लग रहा रसोई […]

भूख का तांडव
शीर्षक : भूख का तांडव काय! वह मैडमजी कौन थी। कितनी अच्छी थी ना। हां झमरु पर ये नहीं पता कैसी थी। हम सबको चलने […]

राइट नम्बर
सुहासिनी को जब से पता चला है कि उसे साहित्य जगत का सर्वोच्च सम्मान मिलने वाला है । तब से ही वह खुशी के मारे फूली न समा रही थी आखिर दोगुनी खुशी जो मिली है एक तो उसका नाम, दूसरा उसके ‘राइट नंबर’ का नाम भी था उस सूची में था।

परिणय बंधन
रम्या ने अपने चेहरे को मास्क एवं स्कार्फ से ढक लिया था। रेलवे प्लेटफार्म पर बैठे हुए उसे लगभग दो घंटे हो चुके थे। उसकी […]

पहला जन्मदिन
नीतू सुबह उठी तो बहुत खुश थी। आज ससुराल में उसका पहला जन्मदिन था। उसने भगवान के हाथ जोड़कर अपने सास-ससुर के चरण-वंदन किये और […]

भीड़ में माँ
हमेशा की तरह सड़क पर वाहनों की आवाजाही बहुत थी। छोटा-सा बच्चा अपनी छोटी सी साइकिल चला रहा था। उसे बड़े होने का एहसास और […]


पूर्वजों का ऋण
आशा अपनी दोनो बेटियों के खेल रही थी। तभी शर्मा आंटी आई और तिरछी मुस्कान के साथ बोली “खूब मस्ती हो रही है बेटियों के […]







हार के बाद ही जीत है
उस श्रेष्ठी वर्ग के शांत कॉलोनी में आज और अधिक सन्नाटा था।प्रोफेसर साहब के बंगले के बाहर लोग ग्रुप बनाकर खड़े थे, फुसफुसाहट की आवाज […]


वतन है जान
दामोदर इस बार लम्बी छुट्टी मिली है ,कब जा रहा है घर ? नहीं अन्ना इस बार नहीं जाना, हमारे जाते ही सरहद पर दुश्मनों […]

अहंकार की परत
रोहित की स्टेट बैंक भोपाल में नौकरी थी, वहीं की सहकर्मी सलोनी रोहित को बहुत पसंद थी। साथ-साथ काम करते-करते दोनों एक दूसरे के बहुत […]


खून का रिश्ता
मेरी महरी नीलू अक्सर अपनी नन्हीं बेटी बेला को साथ ले आती थी। मैं बेला को बहुत कुछ खाने, पीने को दे देती, अपने बच्चों […]




सुरक्षा कवच
सुधा की आज वापसी थी ,15 दिन मायके में कब बीत गए पता ही नहीं चला।भाभी ने हल्दी कुमकुम लगा कर विदा किया ,टैक्सी में […]





क्षितिज तक
नन्ही सी वह बिन मां की बच्ची जब दूसरे बच्चों को अपनी, अपनी मां के साथ लाड़-प्यार और हट करते देखती तो, सोचती कि मेरी […]

शादी का निमंत्रण
“अरे सुनो ! भागवान परसो हमें मौसी के यहाँ शादी में चलना है। शादी की पत्रिका पहले ही आ चुकी है , आज फोन भी […]