
समय की ही लिखावट
—- समय की लिखावट —- क्यों अपने समकक्ष मानते हो मुझे?क्यों मुझसे ईर्ष्या रखते हो? मैं नही हूँ बेहतर दिखने की किसी दौड़ में शामिलना […]
—- समय की लिखावट —- क्यों अपने समकक्ष मानते हो मुझे?क्यों मुझसे ईर्ष्या रखते हो? मैं नही हूँ बेहतर दिखने की किसी दौड़ में शामिलना […]
सीख लिया सागर में रहनामगरमच्छ से क्या डरनागोता खाकर जाना हैमोती लेकर है भरना थामी है पतवार हाथ में ,तूफान से फिर क्यों डरना ।लहरें […]
मुझे मेरा वो गाँव याद आता है .. बरगद की छाँव मेंबैठ के भुट्टे खाना,संग दोस्तों के वहाँ घंटों भर बतियाना,नहीं भुलाये भूलतावो गुजरा जमाना , […]
मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे सबके घट – घट वासी,पिता का वचन निभाने को जो बन गए संन्यासी।माता कौशल्या की ममता भी रह गई थी प्यासी।अयोध्यावासियों […]
फूल खिलके बिखर जाते हैंबगिया को इस तरह सजाते हैं अपने अस्तित्व को मिटा करभी बगिया को महकाते हैं भंवरों की मनमानी सहकर भी काटे […]
किसी बूढ़ी आखों की उम्मीदेंकिसी युवा की ख्वाइशें ।क्या क्या नही ले गया।कहने को पूरा साल था ,लेकिन करने को कुछ नही किया।छोटे छोटे नन्हे […]
मन चंचल मन बावरा मनसमझ ना पाएखेलने की उम्र में बालक बोझ ढोतानजर आएयह कैसी मजबूरी बचपन हाथों सेनिकला जाएकर में किताब की जगह बोझ […]
हमारा जीवन उस वन की तरह है।जिसमे सब कुछ है हरा-भरालेकिन फिर भी है सुनसान और अकेला ||जिसके एक पल चमकती धूप,तो अगले पल घना […]
सबकी परेशानियों को सुन लूंपर अपनी परेशानी किसे सुनाऊं सबके दर्द की दवा बताऊंपर अपना दर्द मैं किसे दिखाऊं सबके होठों पर मुस्कुराहट लाऊंपर मेरी […]
बाल गोपाल, करते धमालसुंदर से, न्यारे से, लाल स्वेटर में बच्चेजैसे कोई खिलता हुआ गुलाब,इतना लाजवाबकि कोई सुंदर ख्वाबहमारी आंखों के सामने…लगता है नाचने..बच्चों की […]
ख़्वाबों के परिंदों, चल पड़ो उस डगरजहाँ मयस्सर हो तुम्हारे सपनों का सफ़र वहशत न रखना की रास्ता पथरीला हैं,चलना शुरू करो तो हर सफ़र […]
आज कोई काम हाथ में मत लो। बरामदे में रखी कुर्सी पर बैठो, और लकड़ी की मेज़ पर पैर फैला लो,और तब तक बैठो जब […]
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